
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फाइल फोटो)
Budget 2025: एक जुलाई 2017 को लागू की गई जीएसटी (GST) योजना से केंद्र सरकार के पास लगातार भारी भरकम टैक्स जमा हो रहा है. लागू किए जाने के बाद से लगातार उतार-चढ़ाव के साथ देश का जीएसटी कलेक्शन बढ़ता जा रहा है. 29 अगस्त 2017 को आए जीएसटी के सबसे पहले आंकड़ें के हिसाब से तब सरकार को 92,283 करोड़ रुपये मिले थे. मगर तब से यह आंकड़ा बहुत ऊपर जा चुका है. अप्रेल 2024 में देश के इतिहास का सबसे ज्यादा जीएसटी कलेक्शन 2 लाख 10 हजार करोड़ के रूप में दर्ज हुआ.
सिर्फ साल 2024 की बात करें तो जनवरी से लेकर दिसंबर तक सरकार के पास 21 लाख 33 हजार 937 करोड़ रुपये जीएसटी जमा हुए, जो कि 23 जुलाई 2024 को पेश किए गए कुल बजट 48 लाख 20 हजार 512 करोड़ का लगभग 44 प्रतिशत था. अनुमान है कि इस बार का बजट 50 लाख करोड़ पार कर जाएगा.
मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट में स्किल ट्रेनिंग, इंटर्नशिप, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अतिरिक्त रोजगार के अवसर मुहैया करवाने के लिए नए कदम उठाए गए. स्टूडेंट्स के लिए लोन की सुविधा को आसान बनाने की घोषणा की गई. इनमें से कई योजनाएं ट्रैक पर, तो कई पाइपलाइन में हैं. तो ऐसे में आगामी बजट से टैक्स से लेकर जन कल्याण और मुफ्त योजनाएं तक आम जनता सहित देश के हर वर्ग को सरकार से बड़ी अपेक्षाएं है.
इनकम टैक्स से क्या है उम्मीदें
पिछले साल जुलाई में बजट के दौरान सरकार ने नए टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स पर स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 75000 रुपये तक कर दिया. लेकिन पुराने टैक्स सिस्टम में अब लिमिट 50000 रुपये है. इस बार के बजट में सरकार का फोकस न्यू टैक्स रिजीम को ही और अधिक आकर्षक और लाभदायक बनाने पर रह सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) की सीमा को ₹75,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 करने की संभावना है. इसके अलावा, 20 प्रतिशत टैक्स रेट के दायरे को भी 12-15 लाख रुपये की आय से बढ़ाकर 12-20 लाख रुपये तक किया जा सकता है.
पूंजीगत खर्च बढ़ा सकती है सरकार
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के शपथ लेते ही दुनिया भर के बाजारों में उथल-पुथल मचने की संभावना है. ऐसे में बाजार की नजर पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) पर है. इकोनोमिस्ट और उद्योग जगत के प्रतिनिदियों ने सरकार को कैपिचल एक्पेंडिटर और पैसे खर्च करने की सलाह दी है. प्रतिनिधियों ने सरकार से कहा है कि अगर कैपिटल एक्सपेंडिचर को 10-15 फीसद बढ़ा दिया जाए तो कंजम्पशन बढ़ेगा. वित्त वर्ष 24 के लिए सरकार ने 11.11 लाख करोड़ खर्च करने का टारगेट रखा था. हालांकि, मार्च 2025 तक यह टारगेट पूरा होता नहीं दिख रहा है.
क्या किसानों की मांगें मानेगी सरकार
लगभग साल भर से किसान आंदोलन कर रहे हैं और पिछले 50 से भी अधिक दिनों से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर बैठे हैं. किसानों की एमएसपी की मांग पूरी होगी की नहीं ये तो सरकार और उनके बीच बैठकों के नतीजों के बाद तय होगा. मगर बजट में सरकार किसानों को कुछ और राहत दे सकती है. अभी सरकार अनाज, दलहन, तिलहन और कॉमर्शियल फसलों को मिलाकर 23 फसलों पर MSP तय करती है.
सरकार अभी MSP पर लाखों करोड़ों खर्च कर रही है. 2022-23 में ही सरकार ने एमएसपी दर से फसल खरीद पर 2,28 लाख करोड़ खर्च किया है. वहीं क्रिसिल (CRISCIL) के अनुमान के अनुसार, सरकार अगर 23 में से 16 फसलों को एमएसपी पर खरीदती है तो 13 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा. हालांकि, इन 16 में से 8 फसलें- गेहूं, मक्का, ज्वार, तुअर, ग्राम, सोयाबीन, कपास और जूट की कीमत मंडी में एमएसपी से कहीं ज्यादा होती है.
हेल्थ सेक्टर को मिलेगी राहत
तमाम सेक्टर्स के साथ हेल्थ सेक्टर (Healthcare Sector) को भी मोदी सरकार के बजट से बड़ी उम्मीदें हैं. स्वास्थ्य सेवा में टैक्स सुधारों के साथ ही इनोवेशंस को बढ़ावा देने वाले उपाय किए जाने की मांग की जा रही है. लेकिन तमाम मांगों में सबसे ऊपर मेडिकल उपकरणों पर एक समान जीएसटी मांग है. इसे 12% की एक समान जीएसटी दर पर स्थिर करने की मांग की जा रही है. लंबे समय से हेल्थ सेक्टर की एक प्रमुख मांग रही है. फिलहाल मेडिकल उपकरणों पर जीएसटी दरें 5% से 18% तक हैं.
रक्षा बजट
सरकार पिछले सालों में रक्षा बजट लगातार बढ़ा रही है. मोदी सरकार ने आखिरी रक्षा बजट 6.22 लाख करोड़ का पेश किया था, जो सभी मंत्रालय में सबसे ज्यादा है. चीन सीमा पर बढ़ती चुनौतियां और भावी खतरे को आंकते हुए सरकार ने रक्षा खरीद, इंफ्रास्ट्रक्चर, इनोवेशन और आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर फोकस कर रखा है. हालांकि, पेंशन पर अभी भी सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो रहा है.
भू-राजनीति में आए दिन होने वाली घटनाओं और भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखकर आगे से लीड करने के लिए भारत सरकार आगामी बजट में भी तकनीक, इनोवेशन और रक्षा उपकरण सहित आधारभूत संरचना पर और अधिक खर्च कर सकती है.
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-भारत एक्सप्रेस
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