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17 कारें, करोड़ों की संपत्ति…जिसे पुलिस ढूंढ रही, कहां है वो शाहजहां? गिरफ्त से अब तक बाहर, घिर रही ममता सरकार

Sandeshkhali Row: संदेशखाली बीते डेढ़ महीने से लगातार सुर्खियों में क्यूँ है? वहां महिलाओं के साथ ऐसा क्‍या हुआ, जिससे बंगाल की राजनीति में भूचाल आ गया. मीडिया और सोशल मीडिया में जिस शाहजहां शेख का नाम गूंज रहा है, पुलिस उसे हर जगह ढूंढ रही है, वो आखिर कहां का रहने वाला था? इन‍ दिनों ऐसे अनेक सवाल उठ रहे हैं. शाहजहां के बारे में कहा जा रहा है कि वह सालों पहले बांग्लादेश से सीमा पार करके आया था और यहां खेतों तथा ईंट भट्ठों का काम करने लगा.

बता दें कि संदेशखाली पश्चिम बंगाल में कालिंदी नदी के किनारे पर बसा एक छोटा और संवेदनशील गांव है. यहां पर सत्ताधारी पार्टी से जुडे हुए दबंग और प्रभावशाली लोगों पर लड़कियों, महिलाओं का यौन शोषण करने और प्रताडना के आरोप लगाए गए हैं. जिसमें सबसे ज्‍यादा हो-हल्‍ला शाहजहां शेख को लेकर मचा है. जिसकी वजह हैं, संदेशखाली में आए रोज सामने आ रही रोती-बिलखती महिलाओं के वीडियो…कइयों ने शाहजहां और उसके गुर्गों से झेली प्रताड़ना को उजागर किया है.

धामाखाली के बाद उजागर हुई संदेशखाली की घटनाएं

पश्चिम बंगाल में संदेशखाली से पहले धामाखाली का शोर गूंजा था, जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक टीम 5 जनवरी 2024 की तारीख को धामाखाली में स्थित शाहजहां शेख के आवास पर छापा मारने के लिए गयी थी. धामाखाली भी कालिंदी नदी के एक किनारे पर बसा हुआ है. वहीं, अगर आप नाव से सामने नदी के द्वीप पर जाते हैं तो आप संदेशखाली पहुंच जाते हैं.

संदेशखाली की महिलाओं ने शाहजहां शेख और अन्य 3 आरोपी, जिनमें शिबू हज़रा और उत्तम सरदार शामिल हैं, पर दरिंदगी का इलज़ाम लगाया है. इसके अलावा ED की टीम ने भी राशन स्कीम में घोटाले की बात कही थी, जिसके पीछे भी शाहजहां का नाम आया था.

ED की टीम पर हुआ भीड़ का सुनियोजित हमला

ED की टीम 5 जनवरी को जब शाहजहां शेख के आवास पर पहुंची थी, तो भीड़ ने हमला कर दिया. ED के अधिकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया. जिसमें ED के तीन अधिकारी भी घायल हो गए. इस पूरे मामले का फायदा उठाकर शाहजहां धामाखाली से भाग निकला. ईडी की टीम अब भी बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में उसके साथियों के यहां छापेमारी कर रही है. हालांकि, शाहजहां पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.

नॉर्थ 24 परगना जिला छोड़कर गायब हुआ शेख

मीडिया में खबरें आ रही हैं कि शाहजहां शेख पड़ोसी मुल्‍क बांग्लादेश भाग गया है, क्योंकि बांग्लादेश में भी उसका एक घर है. वहीं, शाहजहां के एक भाई का कहना है कि शाहजहां विदेश नहीं भागा है. उसका कहना है कि शाहजहां नॉर्थ 24 परगना के इलाके छोड़कर नहीं गया है. कभी-कभी किसी मौके पर वह लोगों को दिख भी जाता है.

तैरता सवाल- आखिर कौन है शाहजहां शेख?

संदेशखाली की खबरें देख-देखकर, बहुत-से लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर शाहजहां शेख कौन है? उसकी पहचान एक मोलेस्टर की तरह दिखाई जा रही है. कहा जा रहा है कि वह सालों पहले बांग्लादेश से बॉर्डर पार कर भारत में आया और यहां खेतों और ईंट भट्ठों का काम करने लगा. उसने भाड़े की गाड़ी और नौका-व्यवसाय में भी हाथ आजमाया.

माकपा पहले और फिर तृणमूल के साए में रहा

उस दौर में जब पश्चिम बंगाल की राजनीति में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की तूती बोलती थी. साल 2002 में शाहजहां शेख ने ईंट भट्ठों के मजदूरों का एक अलग यूनियन बना लिया और वो उस यूनियन का नेता बनकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ गया. 2011 में पश्चिम बंगाल की सत्‍ता से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का लाल दुर्ग ढह गया और तृणमूल कांग्रेस पार्टी से ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं. जिसके बाद शाहजहां तृणमूल कांग्रेस पार्टी में चला गया.

इलाके के लोग उसे ‘भाई’ कहकर बुलाने लगे

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का कहना है कि शाहजहां की काली करतूतों के लिए उसे इसलिए दंडित नहीं किया गया, क्योंकि वह सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी के साये में रहा है. शेख को सत्ता का साथ मिल रहा है और ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि उसका दवाब बना रहे.

महिलाएं रोते-बिलखते बता रहीं आपबीती

कुछ ही दिनों पहले सामने आया कि शाहजहां और उसके करीबी लोग वहां की लड़कियों और महिलाओं के शोषण में लिप्त थे. स्थानीय महिलाओं का आरोप है कि वे सुंदर लड़कियों को अपने पास बुलाते थे, जोर—जबरदस्ती करते थे, कई महिलाओं की आबरू लूटी. लेकिन पुलिस द्वारा पीड़िताओं को चुप रहने को कह दिया जाता और फिर कुछ समय बाद पुलिस मामला भी बंद कर देती.

भाजपा ने कहा- बंगाल में चल रहा जंगलराज

भाजपा के एक नेता ने कहा कि शाहजहां शेख जो कर रहा था, उससे पहले यही काम लेफ्ट से जुड़े बदमाश, गिरोहबाज और मजीद—मास्टर किया करते थे. शाहजहां शेख इस कतार में बस एक और नाम की तरह जुड़ जाता है और इस तरह की गुंडागर्दी सुंदरवन के इलाके में आम है. इसलिए पं. बंगाल में जंगलराज है..और यह जंगलराज वहां भाजपा की सरकार बनने पर ही खत्म हो पाएगा.

— भारत एक्सप्रेस

Vijay Ram

वेब जर्नलिज्म में रचे-रमे. इनका हिंदी न्यूज वेबसाइट के क्रिएटिव प्रजेंटेशन पर फोकस रहा है. 2014 में राजस्थान पत्रिका-जयपुर से बतौर प्रशिक्षु शुरूआत हुई. उसके बाद 7-8 शहरों से होते हुए वनइंडिया हिंदी, एबीपी न्यूज समेत कई पोर्टल पर कार्य किया. जुलाई 2023 से भारत एक्सप्रेस में सेवाएं दीं. पत्रकारिता में बचपन से दिलचस्पी रही, अत: सन् 2000 तक के अखबारों, साप्ताहिक-मासिक पत्रिकाओं को संग्रहित किया. दो दशक से सनातन धर्म के पुराणों, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में भी अध्ययनरत हैं. धर्म-अध्यात्म, वायरल-ट्रेंडिंग, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति और राजनीति की खबरों में रुचि है.

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