

TB Mukt Bharat Abhiyan: 24 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस हर साल हमें इस घातक बीमारी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और लड़ाई तेज करने का अवसर देता है. इस साल, मुझे गर्व है कि भारत टीबी के खिलाफ जंग में एक नया इतिहास लिख रहा है. हाल ही में संपन्न हुआ 100-दिवसीय Intensified “TB Mukt Bharat Abhiyaan” न केवल नवाचार की ताकत को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि समुदाय को एकजुट करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि तकनीकी और प्रोग्रामेटिक बदलाव.
यह अभियान 7 दिसंबर, 2024 को शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य टीबी के मामलों का तेजी से पता लगाना, मृत्यु दर को कम करना और नए मामलों को रोकना था.
टीबी मुक्त भारत अभियान: नवाचार से बदली तस्वीर
100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान ने टीबी का जल्द पता लगाने के लिए अत्याधुनिक रणनीतियों को अपनाया. इस अभियान का लक्ष्य था कि उन लोगों को भी पहचान कर इलाज शुरू किया जाए जो बिना लक्षणों के टीबी से पीड़ित हैं और आमतौर पर नजरअंदाज हो जाते हैं. इसके लिए पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों को सीधे उच्च जोखिम वाले लोगों तक पहुंचाया गया, जैसे कि मधुमेह रोगी, धूम्रपान करने वाले, शराब का सेवन करने वाले, एचआईवी से पीड़ित लोग, बुजुर्ग, कम बीएमआई वाले व्यक्ति और टीबी मरीजों के घरेलू संपर्क में रहने वाले.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संचालित एक्स-रे ने संदिग्ध टीबी मामलों को तुरंत चिह्नित किया और पुष्टि के लिए स्वर्ण-मानक न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (NAAT) का उपयोग किया गया. इस नवाचार ने संक्रामक मामलों को जल्दी पकड़कर इलाज शुरू करने में मदद की, जिससे टीबी का प्रसार रोका गया और अनगिनत जिंदगियां बचाई गईं.
इस अभियान ने देश के हर कोने में अपनी पहुंच बनाई और 12.97 करोड़ कमजोर आबादी की स्क्रीनिंग की. इस गहन प्रयास के परिणामस्वरूप 7.19 लाख टीबी मरीजों की पहचान हुई, जिसमें से 2.85 लाख मामले ऐसे थे जो बिना लक्षणों के थे और इस अभियान के बिना शायद कभी पकड़ में न आते. यह सिर्फ एक उपलब्धि नहीं, बल्कि टीबी के खिलाफ जंग में एक निर्णायक मोड़ है.
जन भागीदारी: टीबी मुक्त भारत का असली आधार
इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत तकनीक नहीं, बल्कि समुदायों का अभूतपूर्व एकीकरण रहा. टीबी उन्मूलन अब एक जन आंदोलन बन चुका है, जो जन भागीदारी की शक्ति से संचालित है. पूरे भारत में 13.46 लाख निक्षय शिविरों का आयोजन किया गया, जिसमें 30,000 से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधि जैसे सांसद, विधायक, पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों ने इस 100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान का समर्थन किया. कॉरपोरेट पार्टनर और आम नागरिक भी इस मुहिम में शामिल हुए, जिसने इस विचार को मजबूत किया कि टीबी उन्मूलन केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक सामूहिक मिशन है.
इस मिशन में जन भागीदारी की मिसाल तब देखने को मिली जब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 22 मंत्रालयों के सहयोग से 35,000 से अधिक गतिविधियां आयोजित की गईं, जैसे टीबी जागरूकता, पोषण किट वितरण और टीबी मुक्त भारत के लिए संकल्प. इसके अलावा, PSUs, व्यापार संघों, व्यवसायिक संगठनों और स्वैच्छिक संगठनों के साथ 21,000 से अधिक गतिविधियां हुईं.
78,000 शैक्षणिक संस्थानों में 7.7 लाख से अधिक छात्रों ने टीबी जागरूकता और संवेदनशीलता गतिविधियों में हिस्सा लिया. जेलों, खदानों, चाय बागानों, निर्माण स्थलों और कार्यस्थलों जैसे संकुल स्थानों में 4.17 लाख से अधिक कमजोर आबादी की स्क्रीनिंग और जांच की गई. अभियान के दौरान त्योहारों पर 21,000 से अधिक टीबी जागरूकता गतिविधियां आयोजित की गईं, जिसमें धार्मिक नेताओं और समुदायिक प्रभावशाली लोगों ने हिस्सा लिया.
निक्षय मित्र और पोषण योजना: मरीजों के लिए नया सहारा
हमारे सम्माननीय प्रधानमंत्री की जन भागीदारी की दृष्टि ने मरीजों को अपनाने के लिए व्यापक सामाजिक समर्थन जुटाया. यह समर्थन केवल पोषण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें मनोसामाजिक और व्यावसायिक सहायता भी शामिल थी. अब टीबी मरीजों को सहायता अस्पतालों तक सीमित नहीं है; यह घरों, गांवों और कार्यस्थलों तक पहुंच रही है. निक्षय मित्र पहल के तहत व्यक्ति और संगठन टीबी प्रभावित परिवारों को पोषण सहायता प्रदान कर रहे हैं, और हजारों खाद्य टोकरी पहले ही वितरित की जा चुकी हैं. मात्र 100 दिनों में 1,05,181 नए निक्षय मित्र इस अभियान से जुड़े.
टीबी से उबरने में पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए, सरकार ने निक्षय पोषण योजना के तहत वित्तीय सहायता को ₹500 से बढ़ाकर ₹1,000 प्रति माह कर दिया है. यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी टीबी मरीज इस लड़ाई में अकेला न पड़े.
टीबी मुक्त भारत: एक सपना जो हकीकत बन रहा है
100-दिवसीय Intensified TB Mukt Bharat Abhiyaan ने दिखाया कि जब नवाचार और समुदाय की ताकत एक साथ आती है, तो असंभव भी संभव हो जाता है. भारत न केवल टीबी से लड़ रहा है, बल्कि इसे हराने की राह पर है. यह अभियान टीबी मुक्त भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसे हमारे प्रधानमंत्री ने 2018 के दिल्ली एंड टीबी समिट में व्यक्त किया था. 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य अब दूर नहीं है, और यह केवल सरकारी प्रयासों का नतीजा नहीं, बल्कि हर भारतीय की भागीदारी का परिणाम है.
आइए, इस विश्व टीबी दिवस पर संकल्प लें कि हम इस जंग को जीतकर ही दम लेंगे. टीबी मुक्त भारत अब सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक साझा मिशन है जो हर गांव, हर घर तक पहुंचेगा.
-भारत एक्सप्रेस
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