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साल 2018 के हापुड़ लिंचिंग मामले में 10 लोगों को दोषी ठहराया गया, उम्रकैद की सजा

Hapur Lynching Case: घटना 18 जून 2018 को उत्तर प्रदेश हापुड़ जिले के पिलखुवा निवासी कासिम को कथित तौर पर गोहत्या की अफवाह के कारण भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था. अदालत ने हर दोषी पर 58 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

Rohini Court

प्रतीकात्मक फोटो.

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में एक पशु व्यापारी कासिम (45 वर्ष) की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या और एक अन्य व्यक्ति समयदीन (62 वर्ष) को गंभीर रूप से घायल किए जाने की घटना के लगभग छह साल बाद एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार (12 मार्च) को सभी 10 आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्वेता दीक्षित ने आरोपियों को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 153ए (धर्म आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 149 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा) और धारा 148 (घातक हथियार से लैस) के तहत दोषी करार दिया.

जिन 10 लोगों को दोषी ठहराया गया है, उनके नाम मांगेराम, करणपाल, रिंकू राणा, हरिओम, ललित, राकेश, मनीष, युधिष्ठिर, सोनू राणा और कानू हैं. प्रत्येक दोषी पर 58,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.

18 जून 2018 को हुई थी घटना

घटना 18 जून 2018 की है, जब हापुड़ जिले के पिलखुवा निवासी कासिम को कथित तौर पर गोहत्या की अफवाह पर भीड़ ने घेर लिया और पीट-पीटकर मार डाला था. घटना को लेकर सामने आई एक वीडियो क्लिप में कासिम एक खेत में पड़े हुए दिखाई दिए थे, उनके कपड़े फटे थे और उनके शरीर पर चोट के निशान थे.

अपने बयान में समयदीन ने पुलिस को बताया था कि वह और उनका पड़ोसी हसन, दोनों मादापुर मुस्तफाबाद गांव के निवासी, चारा इकट्ठा करने गए थे, जब उन्होंने भीड़ को कासिम का पीछा करते देखा था.

घटना के कुछ दिनों बाद सोशल मीडिया पर एक तस्वीर प्रसारित हुई थी, जिसमें कासिम को कुछ लोग द्वारा घसीटते हुए देखा जा सकता था. तस्वीर में तीन पुलिसकर्मी भी थे. बाद में तीनों पुलिसकर्मियों को पुलिस लाइन भेज दिया गया और राज्य पुलिस ने माफीनामा जारी किया था.

समयदीन द्वारा शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मेरठ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) को जांच की निगरानी करने के लिए कहा था.

सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में समयदीन के परिवार और दोस्तों ने आरोप लगाया था कि उन्हें ‘सर्कल अधिकारी (CO) द्वारा धमकी दी गई थी’, जिन्होंने ‘स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से एक मनगढ़ंत और झूठी शिकायत दर्ज कराई थी, जिससे सबूत गढ़े गए, जिसमें भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने की घटना को मोटरसाइकिल दुर्घटना से उत्पन्न आक्रोश का एक कृत्य बताया गया था.’

-भारत एक्सप्रेस



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