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दिल्ली हाईकोर्ट ने बैडमिंटन संघ की अधिसूचना पर खेल मंत्रालय को निर्देश दिए, महिला पैरा-एथलीटों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करें

दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय बैडमिंटन संघ की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्रीय खेल मंत्रालय को निर्देश दिए, महिला पैरा-एथलीटों को समान अवसर और स्लाट सुनिश्चित करने की बात की.

Delhi Highcourt

दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) की 13 फरवरी को जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्रीय खेल मंत्रालय को अहम निर्देश दिया है. जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि राष्ट्रीय खेल महासंघों के आयोजनों में पुरु ष और महिला एथलीटों की भागीदारी के मामले में समानता सुनिश्चित करना चाहिए. जस्टिस ने मंत्रालय को निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि भाग लेने वाले एथलीटों का पूल इतना व्यापक हो कि इसमें अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भाग लेने वाले एथलीट के साथ ही घरेलू या स्थानीय या खेलो इंडिया खेल आयोजनों में भाग लेने वाले एथलीट भी शामिल हो सकें.

महिला पैरा-एथलीटों को दिया गया आठ स्लाट

बीएसआई की अधिसूचना के तहत महिला पैरा-एथलीटों को प्रति आयोजन केवल आठ स्लाट प्रदान किया गया था, जबकि पुरु ष पैरा-एथलीटों को 16 स्लाट मिले थे. न्यायमूर्ति ने कहा कि महिला एथलीटों ने देश को महत्वपूर्ण खेल गौरव दिलाया है. लेकिन वर्तमान स्थिति को अदालत बर्दास्त नहीं करेगी जहां खेल आयोजनों में पुरु ष और महिला दलों के बीच संतुलन नहीं बनाया जाता है. महिला पैरा-एथलीटों को कम स्लाट आवंटित करना उचित नहीं है. खेलों में लैंगिक समानता का सिद्धांत संवैधानिक प्रावधानों के तहत अनिवार्य है.

कोर्ट ने उक्त उक्त निर्देश देते हुए याचिकाकर्ता राहुल कुमार वर्मा की याचिका का निपटारा कर दिया. याचिका में कहा गया था कि अधिसूचना महिला एथलीटों के साथ भेदभाव के समान है. यह भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता- 2011 के विपरीत है. बीएआई के वकील ने कहा था कि आगामी खेलो इंडिया पैरा गेम्स- 2025 में राष्ट्रीय पैरा-बैडमिंटन चैंपियनिशप- 2024 और खेलो इंडिया पैरा गेम्स-2023 में प्रतिभागियों के पूल से अतिरिक्त स्लाट प्रदान करके महिला पैरा-एथलीटों की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा.

-भारत एक्सप्रेस



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