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दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘इंडिया’ का नाम बदलकर ‘भारत’ करने की मांग वाली याचिका का निपटारा किया

दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘इंडिया’ का नाम बदलकर ‘भारत’ करने की मांग वाली याचिका का निपटारा किया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को गृह मंत्रालय में अर्जी दाखिल करने को कहा.

Delhi High Court
Prashant Rai Edited by Prashant Rai

Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘इंडिया’ का नाम बदलकर ‘भारत’ करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे निपटा दिया है. जस्टिस सचिन दत्ता की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता को गृह मंत्रालय के पास अपना प्रतिनिधित्व दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही, हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय से याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए अनुरोध पर जल्द से जल्द निर्णय लेने को कहा है.

गृह मंत्रालय को नहीं बनाया गया था पक्षकार

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने गृह मंत्रालय को पक्षकार नहीं बनाया था, जबकि इस तरह के मामलों में अंतिम निर्णय गृह मंत्रालय को ही लेना होता है.

याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह संविधान में संशोधन कर ‘इंडिया’ शब्द को हटाकर ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ कर दे. याचिकाकर्ता का तर्क था कि अंग्रेजी नाम ‘इंडिया’ देश की संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, और इसे बदलकर ‘भारत’ करने से नागरिकों को औपनिवेशिक अतीत से मुक्त होने में मदद मिलेगी. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि जब देश के कई शहरों के नाम बदले गए हैं, तो अब समय आ गया है कि राष्ट्र को उसके प्रामाणिक नाम ‘भारत’ से पहचाना जाए.

सुप्रीम कोर्ट पहले कर चुका है इनकार

यह याचिका नमहा नामक व्यक्ति द्वारा दायर की गई थी. 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी तरह की एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, लेकिन निर्देश दिया था कि इसे एक प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाए.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि 2020 से भारत संघ के किसी भी विभाग ने उनके प्रतिनिधित्व पर विचार नहीं किया और न ही इस पर कोई निर्णय लिया गया. लंबे समय तक प्रतीक्षा करने के बाद, याचिकाकर्ता ने सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत आवेदन दायर कर इस मामले की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी.

आरटीआई में मिली जानकारी

दिसंबर 2021 में याचिकाकर्ता को सूचित किया गया कि यह मामला 3 जून 2020 को तत्कालीन एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) के. एम. नटराज को सौंपा गया था. साथ ही, आवेदन को सीपीआईओ, लोकसभा और राज्यसभा को स्थानांतरित किया जा सकता है क्योंकि संसद भवन के सचिव के माध्यम से भारत संघ को प्रतिवादी के रूप में शामिल किया गया था.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इसके बाद वह अपने आवेदन की स्थिति जानने के लिए अलग-अलग विभागों के चक्कर लगाता रहा, लेकिन किसी भी संबंधित विभाग ने इस पर विचार नहीं किया और न ही कोई निर्णय लिया. याचिका में कहा गया कि संविधान का अनुच्छेद 21 प्रत्येक नागरिक को अपने देश को ‘भारत’ कहने का अधिकार देता है.


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-भारत एक्सप्रेस



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