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कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने NIA को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

NIA की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यह मामला NIA से जुड़ा नहीं है. यह डीआईजी रेंज से जुड़ा हुआ है. टेलीफोन और ई-मुलाकात सुविधा का लाभ उठाने के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है.

शब्बीर शाह. (फोटो: ANI)

कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह (Shabir Ahmad Shah) की हिरासत में टेलीफोन सुविधा बहाल करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एनआईए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. 13 फरवरी को कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.

आतंकी फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद

शब्बीर अहमद शाह एनआईए (NIA) द्वारा दर्ज आतंकी फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद है. उन्होंने तिहाड़ जेल में टेलीफोन और ई-मुलाकात सुविधा का लाभ उठाने के लिए जांच एजेंसी से एनओसी की आवश्यकता वाले परिपत्र को चुनौती दी है.

शब्बीर अहमद शाह (Shabir Shah) ने टेलीफोन और ई-मुलाकात सुविधा को बहाल करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसे अभियोजन एजेंसी एनओसी की आवश्यकता वाले परिपत्र के मद्देनजर रोक दिया गया है. शाह की ओर से पेश वकील ने कहा कि पहले यह सुविधा थी. हालांकि परिपत्र जारी होने के बाद इसे वापस ले लिया गया था.

NIA ने कहा मामला डीआईजी रेंज से जुड़ा

एनआईए की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यह मामला एनआईए से जुड़ा नहीं है. यह डीआईजी रेंज से जुड़ा हुआ है. टेलीफोन और ई-मुलाकात सुविधा का लाभ उठाने के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है. उन्होंने अदालत से दिल्ली पुलिस आयुक्त को पक्षकार बनाने का आग्रह किया है.

दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया है कि अभियोजन एजेंसी की एनओसी आवश्यक है,जो इस मामले में एनआईए है.

NIA ने नहीं दी सहमति

याचिकाकर्ता ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने 22 अप्रैल 2024 को परिपत्र जारी किया, जिसमें कैदियों को फोन कॉल और ई-मुलाकात सुविधा के विस्तार के संबंध में दिल्ली की सभी जेलों में एकरूपता लाने के लिए कुछ स्पष्टीकरण पेश किए.

उन्होंने कहा कि 22मई 2024 को एनआईए ने 22 अप्रैल 2024 के परिपत्र में एक परिशिष्ट जारी किया, जिसमें अन्य स्पष्टीकरण के साथ यह स्पष्ट किया गया है कि 22 अप्रैल 2024 को या उसके बाद ई-मुलाकात और टेलीफोन सुविधा की अनुमति केवल जांच एजेंसी से एनओसी प्राप्त होने के बाद ही दी जानी चाहिए. पहले से ही सुविधा का लाभ उठा रहे कैदियों के लिए उक्त सुविधा जांच एजेंसी से एनओसी प्राप्त होने तक लागू होता है.

याचिकाकर्ता ने कहा कि 24 मई 2024 को एनआईए ने याचिकाकर्ता को ई-मुलाकात और कॉलिंग सुविधा प्रदान करने के लिए सहमति नहीं दी.

-भारत एक्सप्रेस



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