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एम्स में वैवाहिक स्थानांतरण नीति की मांग पर हाई कोर्ट सख्त, केंद्र और सभी एम्स को नोटिस

दिल्ली हाई कोर्ट ने एम्स में वैवाहिक स्थानांतरण नीति की मांग वाली याचिका पर केंद्र और सभी एम्स को नोटिस जारी किया है. कोर्ट 30 जुलाई को अगली सुनवाई करेगा.

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Aarika Singh Edited by Aarika Singh

दिल्ली हाई कोर्ट ने एम्स में वैवाहिक स्थानांतरण नीति लागू करने की मांग वाली याचिका में केंद्र सरकार और देश के सभी एम्स को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट 30 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. देश के सभी एम्स में वैवाहिक स्थानांतरण नीति को लागू करने की मांग करते हुए अखिल भारतीय सरकारी नर्स फेडरेशन, नर्सिंग प्रोफेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन, एम्स ऋषिकेश, एम्स पटना नर्स यूनियन और मंगलगिरी एम्स नर्सिंग आफिसर्स एसोसिएशन ने यह याचिका दायर की है.

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विभा दत्ता मखीजा ने कहा कि यह याचिकाएं नर्स के परिवार के अधिकार से संबंधित है. वैवाहिक आधार पर स्थानांतरण के मुद्दे पर एक शून्यता की स्थिति है. क्योंकि स्वास्थ्य संस्थानों के कर्मचारियों के ऐसे स्थानांतरण के लिए फिलहाल कोई नियम नहीं है.

महिलाओं के खिलाफ अप्रत्यक्ष तौर पर भेदभाव

याचिकाकर्ताओं ने दो एम्स अस्पतालों के बीच, एम्स और राष्ट्रीय महत्व के अन्य संस्थानों, एम्स और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कोई भी संस्थानें तथा एम्स और राज्य सरकार के अधीन किसी भी संस्थान में स्थानांतरण की नीति की मांग की है. उसने कहा कि एम्स में वैवाहिक आधार पर स्थानांतरण नीति के न होने से महिलाओं के खिलाफ अप्रत्यक्ष तौर पर भेदभाव है.

एक महिला के परिवार की प्राथमिक देखभालकर्ता होने के नाते उसे अपना रोजगार छोड़ना पड़ता है. यह गलत है और संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत गैर-भेदभाव की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन है. यह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत समान अवसर और लैंगिक समानता का भी उल्लंघन है.

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-भारत एक्सप्रेस



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