
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली की धार्मिक समिति को निर्देश दिया है कि वह सार्वजनिक भूमि पर 249 अनाधिकृत धार्मिक ढांचों के बारे में भूमि स्वामित्व एजेंसियों से जानकारी एकत्र करें. साथ ही कोर्ट ने उन्हें हटाने के लिए की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ पर कहा कि सूचना एकत्र करने के बाद दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह) या उनकी ओर से अधिकृत अधिकारी 6 सप्ताह के भीतर कोर्ट ने स्थिति रिपोर्ट पेश करें. कोर्ट 14 मई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में मामले को दिल्ली हाई कोर्ट भेजा था, जो सार्वजनिक भूमि से अवैध धार्मिक ढांचों को हटाने से संबंधित था. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के वकील ने कहा कि उसने 127 अवैध धार्मिक ढांचों की पहचान की है और उसे तोड़ दिया है. उसमें से कुछ संजय वन और जहांपनाह सिटी फॉरेस्ट में बनाए गए थे. उन 127 संरचनाओं में से 82की पहचान वन विभाग ने की थी.
अवैध ढांचों को हटाने की प्रक्रिया
अदालत ने कहा कि धार्मिक समिति का नेतृत्व दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह) करते है. इसलिए हम निर्देश देते हैं कि धार्मिक समिति उन 249 मामलों की पूरी जानकारी एकत्र करें जिनकी पहचान अनाधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने के लिए की गई है. ये जानकारी उन एजेंसियों से एकत्र की जाए जिनकी भूमि पर ऐसी संरचनाएं मौजूद है और जो ऐसी संरचनाओं को हटाने के जिम्मेदार है. वही धार्मिक समिति ने कहा है कि उसने अब तक 51 बैठकें की है और अनाधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने के लिए 249 मामलों की सिफारिश की है.
कोर्ट ने कहा कि ये संरचनाएं नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, डीडीए, दिल्ली छावनी बोर्ड, दिल्ली नगर निगम और रेल मंत्रालय, वन विभाग, लोक निर्माण विभाग और दिल्ली सरकार के कई अन्य विभागों की भूमि पर थी. उसने यह भी कहा कि एजेंसियों ने कार्रवाई धार्मिक समिति के फैसले के आधार पर की है.
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-भारत एक्सप्रेस
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