
मेधा पाटकर.
आपराधिक मानहानि मामले में मेधा पाटकर की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत में 19 अप्रैल को होने वाली सुनवाई को टालने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने निचली अदालत से 20 मई के बाद कि तारीख तय करने का निर्देश दिया है.
कोर्ट 20 मई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने उपराज्यपाल ऑफिस को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा था. जस्टिस शैलेंद्र कौर की बेंच मई में याचिका पर अगली सुनवाई करेगी.
नए गवाह को पेश करने की अनुमति की मांग
मेधा पाटकर ने साकेत कोर्ट द्वारा नए गवाह को पेश करने की अनुमति देने से इनकार करने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. मेधा पाटकर ने अपनी अर्जी में अतिरिक्त गवाह पेश करने की अनुमति मांगी है.
बता दें कि साकेत कोर्ट ने मानहानि के मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को एक नए गवाह को पेश करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था और इस बाबत दाखिल उनकी अर्जी खारिज कर दी थी. वैसे सत्र अदालत ने पाटकर को मिली पांच महीने की कारावास की सजा फिलहाल निलंबित कर रखी है. उन्हें यह सजा मजिस्ट्रेट की अदालत ने दी थी.
मजिस्ट्रेट ने गवाह की याचिका खारिज की
साकेत कोर्ट के प्रथम श्रेणी के जुडिशियल मजिस्ट्रेट ने पाटकर की अर्जी को खारिज करते हुए कहा था कि नए गवाह को पेश करने की मांग जानबूझकर सुनवाई को देरी करने मंशा से किया गया है. उन्होंने कहा था कि यह मामला 24 वर्षो से लंबित है और उसमें सभी गवाहों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं.
पाटकर ने 18 अगस्त, 2023 को भी इसी तरह से गवाह पेश करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन अभी तक उसके बारे में नहीं बताया. अब अचानक नए गवाह को पेश करने की मांग पाटकर की मंशा पर सवाल खड़ा करता है. पाटकर ने 24 वर्षो के दौरान इस गवाह के बारे में कभी भी नहीं बताया. अब अचानक नए गवाह को पेश करने की मांग की है. उसके बारे में स्पष्टीकरण भी नहीं दिया है. यह उनके विसनीयता को कमजोर करता है.
मजिस्ट्रेट ने यह भी कहा कि वर्तमान अर्जी भी गलत धारा के तहत दाखिल किया गया, लेकिन अदालत ने उसकी मेरिट पर सुनवाई की है. उन्होंने कहा कि इस तरह से नए गवाह को बिना आधार के पेश करने की अनुमति दिया जाता रहा तो यह गलत अवधारणा पैदा करेगा. हमेशा पक्षकार नए-नए गवाह लेकर आएंगे और सुनवाई कभी खतम नहीं होगा. अदालत इस तरह से मुकदमे को लंबित रखने की अनुमति नहीं दे सकती. सक्सेना के वकील ने कहा कि पाटकर की वजह से 94 बार सुनवाई स्थगित करना पड़ा था.
23 साल पुराना मामला
सत्र अदालत ने 29 जुलाई, 2024 को मानहानि के मामले में पाटकर की सजा निलंबित कर दी थी और सक्सेना से जवाब दाखिल करने को कहा था. सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ 23 साल पहले आपराधिक मानहानि का मामला दाखिल कराया था. उस वक्त सक्सेना गुजरात में एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) का नेतृत्व कर रहे थे.
मजिस्ट्रेट की अदालत ने 24 मई, 2024 को पाटकर को दोषी ठहराया था और 1 जुलाई को पांच महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी तथा 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था. पाटकर ने इस फैसले को सत्र अदालत में चुनौती दी है.
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-भारत एक्सप्रेस
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