
HDFC Bank: वित्तीय धोखाधड़ी के कथित आरोपों का सामना कर रहे एचडीएफसी बैंक के सीईओ शशिधर जगदीशन की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई को तैयार हो गया है.
कोर्ट 4 जुलाई को याचिका पर सुनवाई करेगा. जस्टिस एम. एम सुंदरेश और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ सुनवाई करेगी. शशिधर जगदीशन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने जल्द सुनवाई की मांग को लेकर आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के इशारे पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है, लिहाजा दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. उन्होंने कोर्ट को बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के तीन जजों ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. जिससे सुनवाई में देरी हो रही है.
लगातार तीन जजों ने सुनवाई से खुद को किया अलग
सबसे पहले यह मामला जस्टिस ए.एस गडकरी और जस्टिस राजेश पाटिल की बेंच के सामने गया. लेकिन जस्टिस पाटिल ने केस की सुनवाई से पहले ही खुद को अलग कर लिया.
बाद में यह मामला पहुचा जस्टिस सारंग कोतवाल की बेंच के पास पहुचा लेकिन उन्होंने भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया.
इसके बाद यह मामला जस्टिस एम एस सोनक और जस्टिस जितेंद्र जैन की बेंच के पास पहुचा. लेकिन बेंच में मौजूद एक जज ने यह कहते हुए सुनवाई से खुद को अलग कर लिया कि उनके पास एचडीएफसी बैंक के कुछ शेयर है.
एक मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के बाद शशिधर जगदीशन के खिलाफ बीएनएसएस की धारा 175 (3) के तहत एफआईआर दर्ज किया गया हैं. इसमें चीटिंग, विश्वासघात और पब्लिक सर्वेंट द्वारा विश्वासघात जैसे आरोप लगाए गए हैं. कोर्ट ने पुलिस को वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों की जांच के आदेश दिया था.
लीलावती ट्रस्ट ने की CBI जांच की मांग
लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उसने ट्रस्टियों द्वारा गबन किए गए 14.42 करोड़ रुपए में से 2.05 करोड़ रुपए जगदीशन की मिले हैं.
ताकि वह चेतन मेहता ग्रुप को ट्रस्ट की मैनेजमेंट में गैरकानूनी तरीके से नियंत्रण बनाए रखने में मदद कर सकें. बता दें कि ट्रस्ट ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
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-भारत एक्सप्रेस
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