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त्रिपुरा में डीजीपी की नियुक्ति से संबंधित मामले में सुनवाई के दौरान त्रिपुरा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि डीजीपी की नियुक्ति को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है. सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने एनजीओ मोन्द्रा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि हम वर्तमान याचिका पर नोटिस जारी नही कर रहे है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि राज्य सरकार डीजीपी की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करती है तो वह दोबारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है. कोर्ट ने त्रिपुरा सरकार की ओर से पेश वकील की दलीलों को रिकॉर्ड पर लेते हुए यह बातें कही है.
याचिका में सरकार पर आदेशों के उल्लंघन का आरोप
दायर याचिका में कहा गया था कि त्रिपुरा सरकार पर आरोप लगाया गया कि वे डीजीपी की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के पुलिस सुधार संबंधी साल 2006 के आदेश का पालन नहीं कर रही है. दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि त्रिपुरा की डीजीपी की नियुक्ति में न्यायपालिका के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है, जिसको राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने खरिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जा रहा है. इसको लेकर 7 मार्च से प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कानून व्यवस्था से इतर जांच के साथ ही सरकार को डीजीपी की नियुक्ति से पहले संघ लोकसेवा आयोग से भी चर्चा करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक डीजीपी का चुनाव मौजूदा डीजीपी के रिटायरमेंट से पहले ही कर लिया जाना चाहिए और यह वरिष्ठता, अनुभव और मेरिट के आधार पर होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि एडहॉक डीजीपी की नियुक्ति के बजाय राज्यों को पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति करनी चाहिए. इसके लिए यूपीएससी तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम राज्य सरकार को सुझाए, जिनमें से सरकार किसी एक नाम पर सहमति दे.
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-भारत एक्सप्रेस
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