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DGP नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 8 राज्यों को जवाब देने के लिए दिया समय, UPSC से स्टेटस रिपोर्ट मांगी

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आठ राज्यों को अवमानना नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के अलावा गृह मंत्रालय और संघ लोक सेवा आयोग को यह नोटिस जारी किया था.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

आठ राज्यों द्वारा अस्थायी डीजीपी नियुक्त (DGP Appointment) को करने के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्यों को जवाब दाखिल करने के लिए समय दे दिया है. साथ ही कोर्ट ने यूपीएससी से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.

DGP का न्युनतम कार्यकाल दो साल हो

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आठ राज्यों को अवमानना नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के अलावा गृह मंत्रालय और संघ लोक सेवा आयोग को यह नोटिस जारी किया था. नियम के तहत डीजीपी पर उसी अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी, जिनकी सेवा अवधि कम से कम छह माह बाकी हो. साथ ही डीजीपी का न्युनतम कार्यकाल दो साल तक होना चाहिए.

कोर्ट ने ये भी कहा था कि डीजीपी की नियुक्ति होने पर उन्हें दो साल तक कार्यकाल जरूर दिया जाए. तैनाती के बाद सेवा अवधि छह माह ही शेष है तो सेवा अवधि बढ़ाई जा सकती है. डीजीपी आपराधिक मामले या भ्र्ष्टाचार अथवा कर्तव्यों के पालन में अक्षम साबित हुए तो सरकार उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले हटा सकती है. हटाने से संबंधित प्रावधानों में भी हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन जरूरी होगा.

कोर्ट ने 2006 में नया नियम बनाने कहा

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ व अन्य मामले में 22 सितंबर 2006 में राज्य सरकारों से एक नया पुलिस अधिनियम बनाने को कहा था. जिससे पुलिस व्यवस्था को किसी भी तरह के दबाव से मुक्त रखा जाए. साथ ही नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के साथ ही विधि का शासन स्थापित किया जा सके. नियुक्ति नियमावली-2024 का उद्देश्य डीजीपी पद उपयुक्त व्यक्ति के चयन को स्वतंत्र पारदर्शी तंत्र स्थापित करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये चयन राजनीतिक या कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त है.


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-भारत एक्सप्रेस



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