
सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: IANS)

यूपी कैडर के 2014 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार की ओर से दायर अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित पक्षों को जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट 17 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. जस्टिस एस वी एन भट्टी और जस्टिस प्रसन्ना वी वराले की पीठ ने जवाब.मांगा है.
मामले की सुनवाई के दौरान पाटीदार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने एक बार फिर कहा कि वह दो साल आठ महीने से जेल में बंद है. उन्हें कम से कम अंतरिम जमानत दी जाए. जिसका राज्य सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के एम नटराजन ने इसका विरोध किया. एएसजी नटराजन ने कहा कि पाटीदार गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं. एएसजी के एम नटराजन ने कहा कि प्रभाव का इस्तेमाल बाहर आने पर भी कर सकते हैं.
राज्य सरकार ने किया अंतरिम जमानत का विरोध
पिछली सुनवाई के दौरान पाटीदार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया था कि मणिलाल 2 साल 8 माह से जेल में बंद है, उन्होंने आत्मसमर्पण किया है. चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, लेकिन अभी तक चार्जफ्रेम नहीं हुआ है. मणिलाल पाटीदार राजस्थान के डूंगरपुर जनपद के सरौदा का रहने वाला है.
मणिलाल पाटीदार महज 24 साल की उम्र में यूपीएससी में 188 वीं रैंक हासिल कर आईपीएस बने थे. आय से अधिक संपत्ति के मामले में पाटीदार की राजस्थान के सरौदा के साथ ही गुजरात में भी संपत्ति चिन्हित की गई है. पूर्व आईपीएस मणिलाल ने राजस्थान में अपने पिता रामजी के नाम जमीन और फ्लैट भी खरीदा है.
इसके अलावा जमीन, दुकान समेत अन्य प्रॉपर्टी का भी पता लगा है. इनकी मार्केट वैल्यू करीब 50 से 60 करोड़ बताई गई है. पाटीदार के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा में दो अकाउंट का भी पता लगा है. इनकी जांच के बाद पत्नी के अकाउंट में बड़ी रकम ट्रांसफर करने की जानकारी भी मिली थी.
पहले हत्या का आरोप, फिर SIT जांच में मिला क्लीनचिट
बता दें कि मणिलाल पाटीदार सितंबर 2020 में महोबा जिले के बतौर एसपी कार्यरत था. उसी दौरान क्रेशर व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी. आत्महत्या से पहले त्रिपाठी ने कई वीडियो सोशल मीडिया में डाला था, जिनमें महोबा एसपी मणिलाल पाटीदार पर छह लाख रुपए प्रति माह रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था.
उसी दौरान यूपी सरकार के एक्शन में आने के बाद मणिलाल पाटीदार के खिलाफ धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ था, जिसे 13 सितंबर 2020 को ईलाज के दौरान इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के बाद 302 यानि हत्या के तहत भी मामला दर्ज किया गया. बाद में यूपी के तत्कालीन डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के आदेश पर एसआईटी जांच में मणिलाल पाटीदार को हत्या के आरोप से क्लिनचिट मिल गई,
लेकिन एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में मृतक व्यापारी की मौत को सुसाइड बताकर मणिलाल पाटीदार के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का केस दर्ज किया था.
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-भारत एक्सप्रेस
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