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दिल्ली हाई कोर्ट से मेधा पाटकर को झटका, ट्रायल कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका लगा है. हाई कोर्ट ने साकेत कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए उन्हें पहले ट्रायल कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा है.

मेधा पाटकर. (फोटो: IANS)

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका लगा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने मेधा पाटकर को ट्रायल कोर्ट जाने को कहा है. मेधा पाटकर ने साकेत कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.

जस्टिस शालिन्दर कौर ने मेधा पाटकर को ट्रायल कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा है. उसके बाद कोर्ट याचिका पर विचार करेगा. इसपर मेधा पाटकर की ओर से पेश वकील ने कहा कि 23 अप्रैल को सेशंस कोर्ट में प्रोबेशन बॉन्ड पेश करने और राशि जमा करने के लिए सूचीबद्ध है.

कोर्ट ने सुनाई थी सजा और भारी जुर्माना

सेशंस कोर्ट ने 8 अप्रैल को मेधा पाटकर को अच्छे आचरण की वजह से रिहा कर दिया था और उनपर एक लाख रुपए का जुर्माना जमा करने की शर्त रखी थी. इससे पहले.मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पांच महीने की साधारण कारावास की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था. जिसके खिलाफ मेधा पाटकर ने सेंशन कोर्ट में अपील दाखिल की थी.

बता दें कि मेधा पाटकर के खिलाफ दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ 25 नवंबर 2000 को अहमदाबाद की एक अदालत में मानहानि का शिकायत किया था और उसमें पाटकर की एक प्रेस नोट का हवाला दिया था. प्रेस नोट देशभक्त का असली चेहरा शीर्षक से था और उसमें कहा गया था कि हवाला लेन देन से दुखी वीके सक्सेना खुद मालेगांव आये. एनबीए की तारीफ की और 40 हजार रुपए का चेक दिया. लेकिन चेक भुनाया नहीं जा सका और बाउंस हो गया. जांच करने पर बैंक ने बताया कि खाता मौजूद ही नही है. मेधा पाटकर ने यह भी कहा था कि सक्सेना कायर है, देशभक्त नहीं.

अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि मेधा पाटकर की हरकतें जानबूझकर और दुर्भाग्यपूर्ण थी, जिसका उद्देश्य सक्सेना की छबि को धूमिल करना था. इससे उनकी छवि और साख को काफी नुकसान पहुचा है. उनके लगाए गए आरोपी भी न केवल मानहानिकारक है, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी गढ़े हुए है. इसके अलावा यब आरोप है कि शिकायतकर्ता गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रखा रहा है. यह उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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