

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की दो महिला अधिकारी लगातार चर्चा में बनी हुई है. कर्नल सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह की हर जगह तारीफ हो रही है. हालांकि कर्नल सोफिया कुरैशी पहले भी चर्चा में आई थीं, जब सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में उनके नाम का जिक्र किया था. कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना के सिग्नल कोर की अधिकारी हैं और उन 11 महिला अधिकारियों में से एक हैं, जिनकी उपलब्धियों को सुप्रीम कोर्ट ने 2020 के ऐतिहासिक फैसले में सेना के शीर्ष पदों में लैंगिक समानता पर जिक्र किया था.
इस फैसले ने महिलाओं को कमांड नियुक्तियों देने के खिलाफ सरकार के तर्कों को खारिज कर दिया था और 11 महिला अधिकारियों की उपलब्धियों को स्वीकार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि भारतीय सेना की महिला अधिकारियों ने सेना को गौरव दिलाया है.
अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को स्टाफ नियुक्तियों के अलावा कुछ भी प्राप्त करने पर पूर्ण प्रतिबंध स्पष्ट रूप से सेना में करियर में उन्नति के साधन के रूप में स्थायी कमीशन दिए जाने के उद्देश्य को पूरा नहीं करता है. सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों का भी उल्लेख किया और कर्नल कुरैशी की उपलब्धियों का उदाहरण दिया.
कोर्ट ने कहा था “लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी (आर्मी सिग्नल कोर) एक्सरसाइज फोर्स 18 नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं, जो भारत द्वारा आयोजित अब तक का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास है.” बता दें कि कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म 1974 में गुजरात के वडोदरा में हुआ था. कुरैशी ने 1997 में मनोनमनियम सुन्दरनार विश्विद्यालय से बायोकेमिस्ट्री में स्नातकोत्तर की है. कुरैशी सिग्नल कोर की अधिकारी के रूप में उन्हें 2006 में कांगों में एक.सैन्य पर्यवेक्षक की भूमिका के लिए चुना गया था. इसके अलावा वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में बाढ़ राहत अभियानों का भी हिस्सा रही थीं.
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-भारत एक्सप्रेस
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