

संपन्न होने के बावजूद आज के दौर में भी सदर बाजार क्षेत्र में प्रति महीने 40 रुपए किराया देकर दशकों से संपत्ति पर कब्जा करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने चिंता जताई है. इससे नाराज जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने किरायेदार को बेदखल करने का आदेश दिया है.
जस्टिस ने कहा कि आर्थिक रूप से संपन्न किराएदार दशकों से अनुचित तरीके से परिसर पर कब्जा किए हुए है. किराए के रूप में बहुत कम भुगतान कर रहा है. इस तरह से वह दिल्ली किराया नियंत्रण कानून का दुरुपयोग कर मकान मालिक को गरीबी एवं निराशाजनक परिस्थितियों में रहने को मजबूर कर रहा है.
इस मामले में किराएदार 50 वर्षो से संपत्ति पर कब्जा किए हुए है और दोनों के बीच कोई रेंट एग्रीमेंट नहीं है. जब मकान मालिक ने अपने निजी इस्तेमाल के लिए परिसर खाली करने की मांग की तो किराएदार ने परिसर खाली करने से इनकार कर दिया था. उल्टे कहा था कि वह परिसर का मालिक नहीं है.
कोर्ट ने दोहराया कि किसी किराएदार के लिए अपने मकान मालिक के हक पर विवाद करना उचित नहीं है. किराएदार को बेदखली की मांग करने के लिए मकान मालिक को बस यह दिखाने की जरूरत है कि उसे किराएदार के मुकाबले किराए पर दिए गए परिसर का वह मालिक है. किसी परिसर पर मकान मालिक का पूर्ण अधिकार होना बेदखली याचिका पर फैसला करने के लिए कोई शर्त नहीं है. उसने यह टिप्पणी करते हुए किराएदार से मकान खाली करने को कहा.
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-भारत एरक्सप्रेस
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