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सुप्रीम कोर्ट SMA दवा सहायता की 50 लाख की सीमा पर करेगा सुनवाई, दवा कंपनी ने एक मरीज को मुफ्त इलाज देने पर दी सहमति

सुप्रीम कोर्ट ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) के इलाज में केंद्रीय सहायता की 50 लाख रुपये की सीमा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई को मंजूरी दी है.

Waqf Amendment Bill

सुप्रीम कोर्ट स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी जैसी दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए केंद्रीय सहायता की राशि 50 लाख रुपए की सीमा को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है. सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने बखा की दवा निर्माता कंपनी एफ हॉफमैन-ला रोश लिमिटेड ने केरल की 24 साल की एसएमए पीड़ित सबा को एक साल तक मुफ्त में रिस्डिप्लाम दवा देने पर सहमति जताई है. इस दवा की कीमत लगभग 6.2 लाख रुपए प्रति शीशी है. कोर्ट 13 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.

सेबा ने पहले केरल हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसने केंद्र सरकार को 50 लाख रुपए की सीमा से अधिक 18 लाख रुपए की दवाएं अतिरिक्त रूप से देने का निदेश दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 24 फरवरी को इस आदेश पर रोक लगाते हुए कहा था कि केंद्र सरकार को इस सीमा को पार करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.

SMA के इलाज की लागत 26 करोड़ तक पहुंचने की संभावना

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि एसएमए के एक मरीज के इलाज की लागत 26 करोड़ तक पहुच सकती है और पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन में रिस्डिप्लाम काफी सस्ते दामों पर बेचा जा रहा है. अदालत ने कंपनी से भारत में कीमत कम करने की संभावना पर विचार करने को कहा है.

सीजेआई ने कहा हम सरकार को यह नहीं कह सकते कि क्या करना है अगर ऐसे आदेश दिया गया तो इसका अंतराष्ट्रीय प्रभाव पड़ेगा. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि इस दवा की कीमत 7200 अमेरिकी डॉलर है, जबकि चीन में यह केवल 545 डॉलर में मिलती है.

उन्होंने सवाल उठाया कि भारत में इससे सस्ते कीमत पर मुहैया क्यों नही कराया जा सकता है? वही कोर्ट ने कंपनी की ओर से दिए गए सीलबंद लिफाफे की. समीक्षा की और बताया कि राष्ट्रीय दुर्लभ रोग समिति ने कंपनी से दवा मूल्य निर्धारण को लेकर बातचीत की थी.

क्या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA)

बता दें कि एसएमए एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जिसमें मांसपेशियों की कमजोरी और क्षय होता है, और यह स्वैच्छिक मांसपेशी गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले तंत्रिका कोशिकाओं को प्रभावित करता है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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