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सुप्रीम कोर्ट ने अगस्ता वेस्टलैंड केस में क्रिश्चयन मिशेल की जमानत शर्तों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में आरोपी क्रिश्चयन जेम्स मिशेल की याचिका खारिज की, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्तों को चुनौती दी थी. कोर्ट ने पासपोर्ट जमा करने और अन्य शर्तों के पालन का निर्देश दिया.

christian michel

सुप्रीम कोर्ट ने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कथित आरोपी क्रिश्चयन जेम्स मिशेल की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा रिहाई से पहले हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्तों के खिलाफ दायर की गई थी. जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संजय कुमार ने यह फैसला दिया है. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा था कि वह पांच-पांच लाख रुपए के निजी मुचलके और 10 लाख रुपए की नकद जमानत देने पर रिहा हो सकता है.

कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया था कि मिशेल को तत्काल अपना पासपोर्ट जमा कराए बिना नियमित जमानत पर रिहा किया जा सकता है. लेकिन उन्होंने एफआरआरओ को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि मिशेल देश छोड़कर न जाए. इसके अलावा ब्रिटिश उच्चायोग यह सुनिश्चित करेगा कि उसका नया पासपोर्ट मिलने पर उसे विशेष अदालत में जमा हो.

पासपोर्ट और विदेश यात्रा पर सख्ती

उन्होंने यह भी निर्देश दिया था कि अपना नया पासपोर्ट मिलने पर उसे राऊज एवेन्यु कोर्ट के विशेष अदालत में जमा करें और उसे बिना अदालती अनुमति के जारी न करें साथ ही उसे अदालत के अन्य शर्तो का भी पालन करने का आदेश दिया है. जिसके तहत रिहाई के बाद हर 15 दिन में एक बार संबंधित जांच अधिकारी के कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराए और अपने आवासीय पते का भी विवरण भी दे.

अगर पता में बदलाव होता है तो उसकी जानकारी अदालत व जांच अधिकारी को देगा. इसके साथ ही कोर्ट ने मिशेल की ओर से दायर याचिका का निपटारा कर दिया है.

मामले की सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश वकील जोहेब हुसैन ने कहा था कि पहले यह निर्णय लिया गया था कि जिन मामलों में भारतीय जमानत पेश नहीं कि जा सकती, वहां कोई विदेशी व्यक्ति भी जमानत पेश कर सकता है. यहां तक कि जब कोर्ट ने किसी व्यक्ति को स्थानीय जमानत पर छोड़ देती है, तब भी पासपोर्ट जमा करना जरूरी था.

मिशेल की दलील

याचिका में मांग की गई अकादमिक है. क्योंकि सीबीआई का आदेश लागू है, इसमें कोई ढील नहीं दी जानी चाहिए. वही मिशेल की ओर से पेश वकील अल्जो जोसेफ ने कहा था कि कुल मिलाकर यह 6 साल और 5 महीने की सजा है.

मिशेल का कहना है कि संशोधन जेल नियमों के मुताबिक, मैं अच्छे आचरण के आधार पर छूट का पात्र हूं. मान लें कि मुझे दोषी ठहराया गया है, तो मुझे एक-एक महीने की छूट मिलेगी. यानी 6 साल की सजा के लिए 6 महीने.

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-भारत एक्सप्रेस 



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