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छात्रों की आत्महत्या पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा एक्शन, 10 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स गठन करके दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की बढ़ती आत्महत्या पर चिंता जताते हुए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया. टास्क फोर्स आत्महत्या के प्रमुख कारणों की जांच कर व्यापक रिपोर्ट तैयार करेगी.

60 फीसदी लोग गुस्से में आकर कर रहे हैं आत्महत्या (फोटो प्रतिकात्मक)

सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजों व विश्वविद्यालयों सहित अन्य उच्च शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की बढ़ती आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने इन समस्याओं से निपटने के मौजूदा तंत्र को अपर्याप्त बताते हुए रिटायर्ड जस्टिस रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में आत्महत्या के विभिन्न मामलों का उल्लेख किया है.

कोर्ट ने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों सहित उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या की बार-बार होने वाली घटनाएं चिंताजनक है. कोर्ट ने कहा कि हमें इस विषय में और कुछ कहने की आवश्यकता नही है, क्योंकि किसी भी अपराध की जांच पुलिस के अधिकार क्षेत्र में है. कोर्ट ने यह भी कहा कि छात्रों की आत्महत्या दर कृषि संकट से जूझ रहे किसानों के आत्महत्या रेट से ज्यादा हो गई है.

छात्रों की आत्महत्या पर अदालत की टिप्पणी

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा ऐसी कार्रवाई न केवल कानूनी बाध्यता है, बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय सुनिश्चित करने के लिए नैतिक अनिवार्यता भी है. इसके साथ ही पुलिस अधिकारियों का यह दायित्व है कि वे बिना किसी देरी या इंकार के प्राथमिकी दर्ज कर ततपरता और जिम्मेदारी के साथ काम करें. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित टास्क फोर्स एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसमें छात्रों द्वारा आत्महत्या के प्रमुख कारणों की पहचान की जाएगी. इसमें रैगिंग, जाति आधारित भेदभाव, लिंग आधारित भेदभाव, यौन उत्पीड़न, शैक्षणिक दबाव, वित्तीय बोझ सहित धार्मिक विश्वास शामिल होंगे.

कोर्ट ने यह भी कहा कि छात्रों की सुरक्षा और भलाई की जिम्मेदारी हर शिक्षण संस्थान के प्रशासन की है. इसलिए कैंपस में आत्महत्या जैसी कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होने पर उचित अधिकारियों के साथ तुरंत एफआईआर दर्ज करना उनका कर्तव्य है. इसका मतलब है कि अगर कोई छात्र आत्महत्या करता है, तो कॉलेज प्रशासन को तुरंत को खबर करनी चाहिए. यह फैसला दो मृत छात्रों के माता-पिता द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील पर आया, जिसमें मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया गया था. जुलाई 2023 में बीटेक छात्र आयुष आशना अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाए गए. कुमार 2019 में आईआईटी जॉइन किया था.

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-भारत एक्सप्रेस 



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