
कर्नाटक द्वारा उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को नए सिरे से जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दे दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा कि गलत जवाबी हलफनामा दाखिल किया है, जिसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इसे देखने दीजिए. कोई जल्दबाजी नही है.
एसजी ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह बाद में सोचा गया है, जिसपर कर्नाटक सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि हमें सही हलफनामा दाखिल करना चाहिए. जिसकी कोर्ट ने अनुमति दे दी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में कथित आरोपी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया था. डीके शिवकुमार ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की थी.
डीके शिवकुमार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि वो हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते है. सुप्रीम कोर्ट डीके शिवकुमार की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमे उन्होंने हाई कोर्ट के 19 अक्टूबर 2023 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने 10 फरवरी को शिव कुमार के खिलाफ भ्र्ष्टाचार के एक मामले में सीबीआई की कार्यवाही पर रोक लगा दिया थी. बता दें कि डीके शिवकुमार ने इससे पहले सीबीआई केस को रद्द करवाने के लिए कर्नाटक हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसपर सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने राहत देने से इंकार कर दिया था. हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ डीके शिवकुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सीबीआई ने 2020 में दर्ज किया था केस
हाइकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि डीके शिवकुमार के खिलाफ दर्ज भ्र्ष्टाचार के मामले की जांच 3 महीने में पूरा करने को कहा था. ज्ञात हो गया सीबीआई ने आरोप लगाया है कि डीके शिवकुमार ने 2013 से 2018 के बीच कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए अपने ज्ञात आय के स्रोतों से इतर बेतहाशा संपत्ति हासिल कर ली. सीबीआई ने मामले में 3 सितंबर 2020 को केस दर्ज किया था. वही डीके शिवकुमार ने इस मामले को 2021 में चुनौती दी थी.
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी राहत देते हुए डीके शिवकुमार के खिलाफ 2018 में दर्ज मामले को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि शिव कुमार PMLA के तहत शुरू की गई कार्यवाही कानून और नियम सम्मत नही होने से रद्द किया जाता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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