
दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट से भारतीय चिकित्सा पद्धति के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष वैद्य जयंत यशवंत देवपुजारी को फिलहाल राहत मिल गई है. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की अवकाशकालीन पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के फैसले पर रोक लगा दिया है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने वैद्य जयंत यशवंत देवपुजारी की नियुक्ति को रद्द करते हुए उन्हें इस पद के लिए अयोग्य करार दिया था. जिसके खिलाफ वैद्य जयंत यशवंत देवपुजारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है. दायर एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित पक्ष को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
हाई कोर्ट ने नियुक्ति को बताया अवैध
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि देवपूजारी आज पद से हटने वाले हैं, इसलिए हम यह सुनिश्चित करने के लिए हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा रहे है ताकि वैद्य जयंत यशवंत देवपुजारी पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों से वंचित न किया जाए. कोर्ट ने कहा कि वह इस सवाल पर विचार करेगा कि क्या वैद्य जयंत यशवंत देवपुजारी की पीएचडी योग्यता को पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री की वैधानिक रूप से निर्धारित योग्यता के बराबर माना जा सकता है या नही.
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उनकी पीएचडी स्नातकोत्तर के बराबर है. दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले डॉक्टर वेद प्रकाश त्यागी और डॉक्टर रघुनंदन शर्मा द्वारा दायर याचिकाओं के आधार पर यह फैसला सुनाया था. कोर्ट ने इस नतीजे पर पहुचा कि देवपूजारी के पास भारतीय चिकित्सा पद्धति से संबंधित किसी भी विषय में स्नात्कोत्तर डिग्री नहीं है. जैसा कि एनसीआईएसएम अधिनियम की धारा 4 (2) के तहत अनिवार्य है.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि यदि किसी अयोग्य व्यक्ति को ऐसे महत्वपूर्ण वैधानिक निकाय के अध्यक्ष के रूप में बने रहने की अनुमति दी जाती है तो इसका बड़ी संख्या में छात्रों व भारतीय चिकित्सकों के हितों पर प्रतिकूल और गंभीर प्रभाव पड़ेगा.
कोर्ट ने कहा था कि आयोग के अध्यक्ष के रूप में प्रतिवादी 5 (देवपूजारी) की नियुक्ति को रद्द करने के लिए रिट वारंटों जारी किया जाता है. वही आयोग के वकील ने बताया था कि अध्यक्ष के चयन व नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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