
Supreme court
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लागू करने की मांग वाली याचिका पर पंजाब, तेलंगाना और जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा जवाब दाखिल नही करने पर फटकार लगाई है. जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टीस संदीप मेहता की पीठ मामले में सुनवाई कर रही है. यह याचिका एम. डी इमरान अहमद ने वकील आयुष नेगी के माध्यम से दायर की है.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पंजाब, तेलंगाना और जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा जवाब दाखिल नही करने के चलते सुनवाई में देरी हो रही है. कोर्ट ने कहा कि जबकि राज्यों को पहले ही नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा गया था. लेकिन पंजाब, तेलंगाना और जम्मू कश्मीर ने अभी तक जवाब दाखिल किया है और ना ही सुनवाई में उनके वकील शामिल हुए है. ना ही इन तीनों राज्यों के तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया है. जबकि बाकी राज्यों ने पहले ही हलफनामे के जरिये अपना जवाब दाखिल कर दिए है.
कोर्ट ने जवाब दाखिल देने के लिए समय देते हुए कहा कि अगली तारीख से पहले तीनों राज्यों के तरफ से जवाब दाखिल नही किया जाता है तो, अगली सुनवाई में तीनों राज्यों के मुख्य सचिव कोर्ट में उपस्थित हो. यदि जबाव दाखिल कर दिया जाता है तो मुख्य सचिवों को पेश होने की आवश्यकता नहीं है. एम. डी इमरान द्वारा दायर याचिका में आरटीआई अधिनियम की धारा 12(1) सी को लागू करने की मांग की गई है, जो गैर अल्पसख्यक, निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को समाज के वंचित वर्गों के बच्चों के लिए अपनी प्रवेश स्तर की कम से कम 25 फीसदी सीटें अलग रखने का आदेश देती है.
कोर्ट इस याचिका पर फरवरी 2023को केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर चुका है. लेकिन पंजाब, तेलंगाना और जम्मू कश्मीर ने अभी तक अपना जवाब दाखिल नही किया है. बता दें कि 86वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम 2022ने संविधान में संशोधन कर एक नया अनुच्छेद 21 क शामिल किया गया, जो 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करता है.
अनुच्छेद 21क में यह प्रावधान था जिसके तहत शिक्षा का मौलिक अधिकार तब लागू होना था जब संसद इसके लिए एक सक्षम कानून पारित करेगा. संसद ने 86वें संवैधानिक संशोधन को लागू करने के लिए बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTI) अधिनियम 2009 पारितकिया. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 1 अप्रैल 2010 को लागू किया गया.
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-भारत एक्सप्रेस
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