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सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 15 अप्रैल को सुनवाई संभव

सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल को वक्फ संशोधन कानून पर सुनवाई करेगा। कांग्रेस, ओवैसी, आप और अन्य ने कानून को असंवैधानिक बताते हुए याचिकाएं दायर की हैं.

Supreme Court
Aarika Singh Edited by Aarika Singh

वक्फ बोर्ड संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल सुनवाई कर सकता है. अभी तक इस कानून के खिलाफ 15 याचिका दाखिल हो चुकी जिनमें कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AMIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, समस्त केरल जमीयतुल उलमा, मौलाना अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, अंजुम कादरी, तैय्यब खान, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, आरजेडी सांसद मनोज झा और जेडीयू नेता परवेज सिद्दीकी शामिल है.

सोमवार को जल्द सुनवाई की मांग को लेकर सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और वरिष्ठ वकीप अभिषेक मनु सिंघवी ने मेंशनिंग किया था. जिसपर सीजेआई संजीव खन्ना ने जल्द सुनवाई के लिए तारीख तय करने की बात कही थी. संसद से बजट सत्र में पास वक्फ (संशोधन) बिल, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है. गजट नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही वक्फ अधिनियम 1995 का नाम भी बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशियंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम 2025 हो गया है.

ओवैसी ने वक्फ बिल का किया विरोध

अमानतुल्लाह खान ने अनुच्छेद 32 के तहत यह याचिका दायर की है, जिसमें हालही में लोकसभा और राज्यसभा से पास वक्फ संशोधित बिल के कानूनी वैधता को चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि ये बिल मुस्लिम समुदाय के धार्मिक, संस्कृति और संपत्ति के अधिकारों के खिलाफ है. वक्फ बोर्ड को केंद्र सरकार के अधीन लाकर अल्पसंख्यक समुदाय के स्वायत्तता को कमजोर की गई है. याचिका में यह भी कहा गया है कि ट्रिब्यूनल के न्यायिक शक्तियों को जिला कलेक्टर को सौंपना गलत है.

जबकि असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी याचिका में विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. संसद में भी ओवैसी ने वक्फ बिल का विरोध किया था और प्रतीकात्मक तौर पर इसकी एक कॉपी भी फाड़ दी थी. वही कांग्रेस के सांसद मोहम्मद जावेद ने याचिका दायर कर वक्फ संशोधन विधेयक को मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताते हुए चुनौती दी है.

वक्फ संपत्तियों के मामलों में सरकारी हस्तक्षेप

उन्होंने अपनी याचिका में कहा गया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 24 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और अनुच्छेद 300 ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है. याचिका में यह भी कहा गया है कि जब हिंदू और सिख ट्रस्टों को स्व- नियमन की छूट प्राप्त है, तो केवल वक्फ संपत्तियों के मामलों में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाना असमान और अनुचित है. जावेद ने इस संशोधन के उस प्रावधान पर भी आपत्ति जाहिर की है, जिसमें कहा गया है कि वक्फ संपत्ति केवल उसी व्यक्ति द्वारा दी जा सकती है, जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लामिक प्रैक्टिस कर रहा हो. यह प्रावधान उन लोगों के साथ भेदभाव करता है, जिन्होंने हाल ही में इस्लाम अपनाया है और अपनी संपत्ति वक्फ को देना चाहते है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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