स्वामी प्रसाद मौर्य. (फाइल फोटो)
रामचरित मानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते मुकदमा का सामना कर रहे पूर्व समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट इस सप्ताह बाद सुनवाई करेगा. मौर्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरित मानस पर उनकी कथित विवादस्पद टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दर्ज मामले में आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था.
सांप्रदायिक सौहार्द जनप्रतिनिधियों का जिम्मा
इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि स्वस्थ आलोचना का मतलब यह नहीं है कि ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाए जो लोगों को अपराध करने के लिए प्रेरित करें. कोर्ट में कहा गया था कि मौर्य ने कथित तौर पर रामचरितमानस की दो चौपाइयों को दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के लोगों के खिलाफ बताते हुए आपत्ति जताई है. दस्तावेजों के अवलोकन के बाद हाईकोर्ट ने कहा था कि जनप्रतिनिधियों को ऐसे कार्यो से बचना चाहिए जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है.
उनकी टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ धारा 153-A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295-A (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के इरादे से) सहित अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
मौर्य पर आरोप है कि उनकी इस टिप्पणी से देश भर में कुछ अन्य नेताओं ने सर्वसम्मति से रामचरितमानस की प्रतियां जलाने पर सहमति व्यक्त की और सभी रामचरितमानस के प्रति अपमानजनक और अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसके चलते लोगों में आक्रोश का माहौल पैदा हुआ.
-भारत एक्सप्रेस
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