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भारत के अलावा इन पड़ोसी देशों में भी धूमधाम से मनाई जाती है मकर संक्रांति

Makar Sankranti 2024: इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जा रही है. यह हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार मना जाता है. इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. मकर संक्रांति का त्योहार भारत में ही नहीं बल्कि कई राज्यों में अलग-अलग रिवाजों के साथ मनाया जाता है. मकर संक्रांति पर स्नान और दान का भी बेहद महत्व होता है. इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे पूरे भारत वर्ष में अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि किन-किन देशों में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है.

इन पड़ोसी देशों में भी मनाई जाती है मकर संक्रांति

श्रीलंका में ‘उजाहवर थिरनल’

श्रीलंका में मकर संक्रांति मनाने का तरीका और वहां कि रितीरिवाज भारतीय संस्कृति से थोड़ा अलग है. यहां इस पर्व को ‘उजाहवर थिरनल’ नाम से मनाया जाता है. यहां लोग इसे पोंगल भी कहते हैं, क्योंकि तमिलनाडु के लोग यहां काफी संख्या में रहते हैं.

म्यांमार में थिनज्ञान

म्यांमार में मकर संक्रांति का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है. यहां इस दिन थिनज्ञान नाम से त्योहार मनाया जाता है, जो बौद्धों से जुड़ा है. यह त्योहर 3-4 दिन तक चलता है. माना जाता है कि नए साल के आने की खुशी में भी यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

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थाईलैंड में सॉन्कर्ण

कई दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के लोग भी मकर संक्रांति अलग-अलग तरीके से मनाते हैं. लेकिन आपको जानकर ये हैरानी होगी की थाईलैंड में भी मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. इस पर्व को सॉन्कर्ण नाम से जाना जाता है. हालांकि यहां की संस्कृति भारतीय संस्कृति से बिलकुल अलग है. थाईलैंड में हर राजा की अपनी विशेष पतंग होती थी जिसे जाड़े के मौसम में भिक्षु और पुरोहित देश में शांति व खुशहाली की आशा में उड़ाते थे. थाईलैंड के लोग भी अपनी प्रार्थनाओं को भगवान तक पहुंचाने के लिए वर्षा ऋतु में पतंग उड़ाते थे.

नेपाल में माघे-संक्रांति

नेपाल के सभी प्रांतों में यह पर्व अलग-अलग नाम व रीति-रिवाजों से एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है. यहां मकर संक्रांति को माघे-संक्रांति के नाम से कहा जाता है. थारू समुदाय का यह सबसे प्रमुख त्योहार माना जाता है. नेपाल के बाकी समुदाय भी तीर्थस्थल में स्नान करके दान-धर्मादि करते हैं और तिल, घी, शर्करा व कंदमूल खाकर धूमधाम से मनाते हैं. वे नदियों के संगम पर लाखों की संख्या में नहाने के लिए जाते हैं.

-भारत एक्सप्रेस 

Akansha

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