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Ramadan 2024: फास्टिंग के दौरान एक्टिव और फिट रहने के लिए ये 3 एक्सरसाइज जरूरी, जानें वर्कआउट करने का सही समय

Ramadan 2024: 11 या 12 मार्च से रमजान का पाक महीना शुरू हो रहा है. ऐसे में अकसर लोगों के मन में सवाल रहता है कि वर्कआउट किया जाए या नहीं? तो आइये जानते हैं.

Ramadan Workout Routine

Ramadan Workout Routine

Ramadan 2024: 11 या 12 मार्च से रमजान का पाक महीना शुरू हो रहा है. ऐसे में इसे लेकर तैयारियां जोरो पर हैं. इस महीने में पूरा दिन रोजा रहता है और शाम में इफ्तार करके रोजा खोला जाता है. रमज़ान में अकसर लोगों के मन में सवाल रहता है कि वर्कआउट किया जाए या नहीं? अगर किया जाए तो किस समय किया जाए? आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं, और बताएंगे कि क्या रमजान में एक्सरसाइज की जा सकती है या नहीं. तो आइये जानते हैं.

Ramadan को लेकर एक्सपर्ट की राय

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि कि रोजे़ के दौरान एक्सरसाइज करना बहुत ज़रूरी है, वरना आप बहुत आलसी हो सकते हैं. वहीं रमजान में भी एक्सरसाइज करना पूरी तरह सुरक्षित है और रोजे़ में भी लोगों को एक्सरसाइज जारी रखना चाहिए, क्योंकि यह शरीर को फिट और मजबूत बनाए रखता है. बहुत से लोग रोजे़ में एक्सरसाइज करने से हिचकिचाते हैं. हालांकि इस संबंध में एक्सपर्ट कहते हैं कि रमजान में आप किस समय एक्सरसाइज करें यह बात बहुत मायने रखती है. उनके मुताबिक अगर आप रोजे़ में सुबह एक्सरसाइज करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होगा, क्योंकि सुबह एक्सरसाइज करने के बाद आपके शरीर में पूरा दिन बिताने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं होगी.

वर्कआउट टाइमिंग है काफी अहम

जो लोग रमजान में एक्सरसाइज करने का प्लान बना रहे हैं, वह ध्यान रखें कि आपके लिए वर्कआउट टाइमिंग काफी अहम है. इस एक महीने में कार्डियो पर फोकस कम करें. क्योंकि यह तेजी से बॉडी से ग्लाइकोजन रिजर्व और इलेक्ट्रोलाइट्स को खत्म करता है. स्ट्रेग्थ ट्रेनिंग को वक्त दें, और 20-25 मिनट वर्कआउट करें.

किस तरह का वर्क-आउट सबसे अच्छा है?

जैसा कि कोई व्यक्ति जो स्वयं उपवास का पालन करता है, तो उन्हें ये तीन वर्कआउट ही करने चाहिए जैसे कि शक्ति प्रशिक्षण (strength training) , कार्डियो (cardio) और लचीलापन (flexibility). वहीं इन मांसपेशियों को ताकत देने के लिए इन तीन एक्सरसाइजों को प्राथमिकता देना जरूरी है क्योंकि मांसपेशियों का नुकसान आपके चयापचय को धीमा कर देगा.

कार्डियो (Cardio)

जब कार्डियो की बात आती है, तो ये मांसपेशियों के लिए अच्छा है. इसलिए इसे हर दूसरे दिन 30 मिनट की धीमी, स्थिर दूरी तक सीमित करके करें. याद रखें, आप डिहाड्रेट होंगे इसलिए आपका शरीर ऊर्जा के स्रोत के रूप में आपके वसा भंडारण का उपयोग करेगा, खासकर यदि आप इफ्तार से पहले अपना कार्डियो करते हैं. इसके साथ ही आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि आपका रक्तचाप शुरुआत में या उसके बाद भी गिर सकता है, इसलिए वार्म-अप और कूल-डाउन रूटीन को छोड़ें नहीं. उपवास के दौरान कार्डियो कम तीव्रता वाला रखें क्योंकि उच्च तीव्रता ग्लाइकोजन स्टोर को खाएगी और शरीर को ऊर्जा के लिए प्रोटीन का उपयोग करने के लिए मजबूर करेगी. अगर आप दिन के दौरान कुछ कार्डियो करना चाहते हैं, तो इफ्तार से ठीक पहले टहलना कैलोरी जलाने का एक अच्छा विकल्प है.

प्रतिरोध प्रशिक्षण (strength training)

इसी तरह, जब आप अपना प्रतिरोध प्रशिक्षण शुरू करते हैं, तो अपने शरीर के ब्लड प्रेशर को सही रखने के लिए हल्के अभ्यासों को चुनें. रोजे के दौरान ऊर्जा के लिए शरीर के संग्रहीत कार्ब्स का उपयोग करने के साथ-साथ, यह संभावना है कि आपका शरीर प्रोटीन स्टोर में भी बदल जाएगा, इससे मांसपेशियों का नुकसान हो सकता है. ऐसे में स्ट्रेंथ ट्रिनिंग आपकी मदद कर सकता है. ये मांसपेशियों को संरक्षित करने में मदद करता है, इसलिए बॉडीवेट व्यायाम जैसे कि स्क्वाट्स, पुश-अप्स या सिर्फ हल्के एक्सरसाइज करें.

लचीलापन (flexibility)

अंतिम फिटनेस पहलू पर ध्यान केंद्रित करने के लिए लचीलापन है. किसी भी गतिशीलता से संबंधित मुद्दों से बचने के लिए आप इसे कर सकते हैं. दरअसल भूखे-प्यासे रहने पर शरीर की कमा करने की स्पीड धीमी हो जाती है. कई लोगों को तो चलने-फिरने की परेशानी भी होने लगती है. ऐसे में कुछ योग और लचीलापन बढ़ाने वाले एक्सरसाइज आपके लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकते हैं.



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