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क्या होता है मंकी फीवर? इन राज्यों में बढ़ रहे मामले, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

Monkey Fever: पहले कोविड, चमकी बुखार और अब देशभर ‘मंकी फीवर’ के बढ़ते मामलों ने टेंशन देना शुरू कर दिया है. कई राज्यों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.

Monkey Fever

Monkey Fever

Monkey Fever Symptoms: पहले कोविड, चमकी बुखार और अब देशभर ‘मंकी फीवर’ के बढ़ते मामलों ने टेंशन देना शुरू कर दिया है. कई राज्यों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. खास तौर पर कर्नाटक में इस बीमारी से दो मरीजों की जान भी जा चुकी है. अकेले इस राज्य में अब तक 64 केस सामने आए हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र और गोवा में भी इस वायरस के मामले देखे गए हैं. स्थ्य विभाग अलर्ट मोड परआ गया है. विभाग से जुड़े अधिकारी इस वायरल संक्रमण के प्रसार से निपटने के लिए तैयारियों की समीक्षा में जुटे हैं. इस बीमारी का कोई खास इलाज नहीं है. आइए जानते हैं कि आखिर यह मंकी फीवर है क्या? इसका नाम मंकी फीवर क्यों है और इससे बचने के लिए क्या उपाय अपनाना चाहिए. इस बारे में जानते हैं.

क्या है मंकी फीवर, कैसे फैलता है

मंकी फीवर, जिसे क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) भी कहा जाता है. ये एक वायरल बीमारी है, जो क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज वायरस के कारण होती है. जानवरों से इंसानों में इसके संक्रमण फैलने का खतरा होता है. खास तौर पर ये उन इलाकों में ज्यादा फैलता है जहां बंदरों की आबादी ज्यादा होती है. यह बीमारी 1957 में कर्नाटक के घने जंगलों में उत्पन्न हुई. तब से इसका दक्षिण एशिया के कई इलाकों संक्रमण सामने आया. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बंदरों के शरीर में पाए जाने वाले टिक्स यानी किलनी के काटने से इस बीमारी का संक्रमण इंसानों में हो जाता है. ऐसे में खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है.

क्या है इस बीमारी के लक्षण

सेंट्रल कोस्टल एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, मंकी फीवर के लक्षण आम तौर पर बंदरों की टिक्स (किलनी) के काटने के 3 से 8 दिन बाद दिखाई देते हैं. इसमें तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है. मामला गंभीर होने पर ये बीमारी एन्सेफलाइटिस, हेपेटाइटिस और अलग-अलग अंगों की विफलता जैसी समस्याओं में भी बदल सकता है. इससे प्रभावित व्यक्तियों के लिए ये बीमारी गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है. जानकारों के मुताबिक, ‘मंकी फीवर’ के केस बिगड़ने से नाक और मसूड़ों से खून भी आ सकता है.

इस तरह से करें बचाव

  • इस बीमारी के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है. हालांकि, वैक्सीनेशन और टिक से बचाव और सुरक्षात्मक कपड़े पहनने जैसे उपायों की मदद से संक्रमण के जोखिम को कम कर सकते हैं.
  • इसके अलावा इससे बचाव के लिए आप निम्न बातों का भी ध्यान जरूर रखें-
  • मंकी फीवर से से सुरक्षित रहने के लिए, उन जंगली इलाकों में जाने पर सावधानी बरतें जहां इस बीमारी का खतरा ज्यादा है.
  • टिक्स से बचने के लिए लंबी बाजू वाले कपड़े, पैंट और बंद जूते पहनें.
  • ओपन स्किन के बचाव के लिए DEET युक्त इंसेक्ट रिपेलेंट का इस्तेमाल करें.
  • बंदरों और उनके आवासों के सीधे संपर्क में आने से बचें.

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