
World Cancer Day 2025: कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिसे डॉक्टर्स साइलेंट किलर भी कहते हैं. यह धीरे-धीरे बढ़ती है और दुनियाभर में लाखों लोग कैंसर से प्रभावित है. वहीं भारत समेत पूरी दुनिया में हर साल करोड़ों लोग इस खतरनाक बीमारी के कारण अपनी जान गंवा देते हैं. इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने और कैंसर से होने वाली मौतों को कम करने के लिए हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day) मनाया जाता है.
इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को कैंसर से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक करना और इससे होने वाली मौतों की संख्या को कम करना है. इस अवसर पर हम आनुवांशिक (Genetic) कैंसर के बारे में भी जानकारी देंगे. यदि परिवार में किसी सदस्य की कैंसर से मृत्यु हुई है, तो अन्य सदस्यों में इसके विकसित होने की कितनी संभावना है? इसके लिए कौन-से टेस्ट कराए जा सकते हैं? ये सभी महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल के अनुसार, चीन में कैंसर के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जहां 48 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. इस सूची में दूसरा स्थान अमेरिका का है, जहां करीब 23 लाख लोग कैंसर का शिकार हैं. वहीं, भारत इस सूची में 14 लाख मामलों के साथ तीसरे स्थान पर है.
जानें क्या Genetic होता है कैंसर?
माना जाता है कि यदि परिवार में पहले किसी को कैंसर हुआ हो तो अन्य सदस्यों को भी इसका खतरा हो सकता है. हालांकि, एक्सपर्ट्स के अनुसार, केवल 10% मामलों में ही कैंसर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचता है. कैंसर खुद माता-पिता से बच्चों में नहीं जाता, लेकिन जेनेटिक म्यूटेशन इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है. यदि माता-पिता के शुक्राणु या अंडाणु में कैंसर कोशिकाएं मौजूद हैं, तो यह बच्चों तक भी पहुंच सकता है.
इस साल की थीम
वहीं WHO दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने बताया, ‘इस साल की थीम ‘यूनाइटेड बाय यूनिक’ हमें कैंसर के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की प्रेरणा देती है. उन्होंने आगे बताया कि WHO प्रत्येक मरीज के अनुभवों को महत्वपूर्ण मानता है और इस बात को स्वीकार करता है कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं डॉक्टरों, परिवार, दोस्तों और समाज के सहयोग से ही संभव हो सकती हैं.
कैंसर की स्थिति और अनुमान
साइमा वाजेद ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के विभिन्न क्षेत्रों में, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में होंठ और मुंह का कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और बचपन में होने वाला कैंसर सबसे अधिक पाए जाते हैं.
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2050 तक इस क्षेत्र में कैंसर के नए मामलों और मृत्यु दर में 85% तक की वृद्धि हो सकती है. हालांकि, बीते कुछ वर्षों में इस क्षेत्र के कई देशों ने कैंसर नियंत्रण में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें तंबाकू सेवन में कमी एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. वाजेद ने कहा, “तंबाकू कैंसर का एक प्रमुख कारण है, और हमारे क्षेत्र में तंबाकू सेवन में सबसे तेजी से गिरावट देखी गई है.”
कैंसर नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम
- 6 देशों ने कैंसर नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय योजनाएं बनाई हैं.
- दो देशों ने कैंसर को अपनी गैर-संक्रामक रोग नियंत्रण नीति में शामिल किया है.
- 8 देशों में ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) का टीकाकरण राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया है.
- 10 देश बाल कैंसर नियंत्रण के वैश्विक प्रयासों को अपना रहे हैं.
- 7 देशों में कैंसर मामलों को दर्ज करने के लिए जनसंख्या-आधारित विशेष रजिस्टर बनाए गए हैं.
- 10 देशों में उन्नत स्तर की कैंसर देखभाल सेवाएं उपलब्ध हैं, जो 50% से अधिक जरूरतमंद मरीजों तक पहुंच रही हैं.
कैंसर नियंत्रण में चुनौतियां
- कैंसर नियंत्रण योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है, जिससे इनके लाभ सीमित रह जाते हैं.
- सुपारी जैसे कैंसरकारी पदार्थों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए ठोस नीतियों की कमी है.
- बीमारी की देर से पहचान और तेजी से बढ़ते मामलों को संभालने के लिए राष्ट्रीय क्षमताओं की कमी कैंसर नियंत्रण में बड़ी बाधा बन रही है.
साइमा वाजेद ने इस बात पर जोर दिया कि कैंसर से बचाव और नियंत्रण के लिए जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस बीमारी के कारण होने वाली मौतों की संख्या को कम किया जा सके.
-भारत एक्सप्रेस
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