

प्रयागराज महाकुंभ-2025 में इस बार एक नई ऐतिहासिक पहल की गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महाकुंभ के दौरान 10,000 से अधिक अमिट निशानियां विदेशों में भेजी गई हैं. इनमें प्रयागराज के प्रसिद्ध अमरूद, बेल और केले के पौधे भी शामिल हैं. यह पहल पवित्र त्रिवेणी के किनारे संगम की रेती पर श्रद्धालुओं के लिए यादगार बनाने के उद्देश्य से की गई है.
पौधों के साथ दी गई महाप्रसाद की किट
महाकुंभ नगर में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं को महाप्रसाद के रूप में बड़े हनुमान मंदिर और बाघंबरी मठ की ओर से फलदार पौधों के साथ नीम और तुलसी के पौधे भी वितरित किए गए. इस अवसर पर श्रीमठ बाघंबरी गद्दी में अचला सप्तमी महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें साधु-संतों और श्रद्धालुओं को पौधों के साथ एक थैला और एक थाली भी दी गई.
हरित महाकुंभ की संकल्पना: महंत गिरि
महंत बलवीर गिरि जी ने इस पहल को महत्व देते हुए कहा कि जो श्रद्धालु प्रयाग में पौधा प्राप्त करेंगे, वह बहुत भाग्यशाली होंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सम्मानित गंगा सेवक पर्यावरणविद् मानस चिरविजय सांकृत्त्यायन ने कहा कि इस पहल से हरित महाकुंभ का सपना पूरा हो रहा है.
सीएम योगी आदित्यनाथ की सराहना
महामंडलेश्वर सती गिरि जी महाराज ने महाकुंभ के आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के योगदान की सराहना की. उन्होंने कहा कि संत समाज का सम्मान करना और महाकुंभ को हरित क्षेत्र बनाना दोनों ही मुख्यमंत्री योगी का महत्वपूर्ण योगदान है.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष की प्रतिक्रिया
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सनातन धर्म का रक्षक और संतों का सेवक बताते हुए उनकी सराहना की. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के सभी प्रमुख संतों ने महाकुंभ के आयोजन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन की सराहना की है.
कुल मिलाकर, इस महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण और सांस्कृतिक दृष्टि से भी यह एक ऐतिहासिक कदम साबित हो रहा है.
- भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.