

Aaj Ka Panchang 1 M ay 2025: 01 मई 2025 को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि होगी. इस दिन मृगशीर्षा नक्षत्र और अतिगंदा योग का संयोग रहेगा. शुभ मुहूर्त की बात करें तो गुरुवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:45 से दोपहर 12:36 तक रहेगा. राहुकाल दोपहर 13:47 से 15:23 तक रहेगा. चंद्रमा मिथुन राशि में संचार करेंगे.
हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग के नाम से भी जाना जाता है, समय और काल की सटीक गणना का माध्यम है. पंचांग पांच मुख्य अंगों – तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण – से मिलकर बनता है. दैनिक पंचांग में हम आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय-सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य-चंद्र की स्थिति, हिंदू मास, पक्ष आदि की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं.
पंचांग विवरण:
तिथि | चतुर्थी | 11:28 तक |
नक्षत्र | म्रृगशीर्षा | 14:24 तक |
प्रथम करण | विष्टि | 11:28 तक |
द्वितीय करण | बावा | 22:20 तक |
पक्ष | शुक्ल | |
वार | गुरुवार | |
योग | अतिगंदा | 08:34 तक |
सूर्योदय | 05:46 | |
सूर्यास्त | 18:36 | |
चंद्रमा | मिथुन | |
राहुकाल | 13:47 − 15:23 | |
विक्रमी संवत् | 2082 | |
शक संवत | 1947 | विश्वावसु |
मास | वैशाख | |
शुभ मुहूर्त | अभिजीत | 11:45 − 12:36 |
पंचांग के पांच अंग:
तिथि:
हिंदू काल गणना के अनुसार, चंद्र रेखांक का सूर्य रेखांक से 12 अंश आगे जाने में जो समय लगता है, उसे तिथि कहते हैं. एक माह में 30 तिथियां होती हैं, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बंटी होती हैं. शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है.
तिथियों के नाम: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा/अमावस्या.
नक्षत्र:
आकाश मंडल में तारों के समूह को नक्षत्र कहते हैं. कुल 27 नक्षत्र होते हैं, जिनका स्वामित्व नौ ग्रहों को प्राप्त है.
27 नक्षत्रों के नाम: अश्विन, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती.
वार:
वार का अर्थ दिन से है. सप्ताह में सात वार होते हैं, जो ग्रहों के नाम पर आधारित हैं – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार.
योग:
सूर्य और चंद्रमा की विशेष दूरियों की स्थिति को योग कहते हैं. कुल 27 योग होते हैं.
योगों के नाम: विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र, वैधृति.
करण:
- एक तिथि में दो करण होते हैं – पहला तिथि के पूर्वार्ध में और दूसरा उत्तरार्ध में. कुल 11 करण हैं.
- करणों के नाम: बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग, किस्तुघ्न.
- नोट: विष्टि करण को भद्रा कहते हैं, और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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