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Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या के दिन इन खास बातों का रखें ध्यान, भूलकर भी न करें ये काम, जानिए कुंभ में अमृत स्नान का शुभ संयोग

Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या के दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान और पितरों को तर्पण करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है. इस दिन पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों की कृपा मिलती है.

Mauni Amavasya 2025

मौनी अमावस्या 2025

हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) का विशेष महत्व है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और पितरों का तर्पण करना अत्यंत फलदायक माना जाता है. मौनी अमावस्या माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि पर मनाया जाता है. आपको बता दें मौनी अमावस्या को “माघी अमावस्या” (Maghi Amavasya 2025) भी कहते हैं.

मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या के दिन गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान और पितरों को तर्पण करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है. इस दिन पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों की कृपा मिलती है. इस वर्ष मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में अमृत स्नान का विशेष संयोग भी बन रहा है.

मौनी अमावस्या 2025 की तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 28 जनवरी 2025 को शाम 7:35 बजे से शुरू होकर 29 जनवरी 2025 को शाम 6:05 बजे तक रहेगी. इसलिए मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी. इसी दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी होगा.

मौनी अमावस्या मंत्र-

  • ॐ पितृ देवतायै नम:
  • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।
  • ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।
  • ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम।।

मौनी अमावस्या पर क्या करें

  • प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें.
  • भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और मां गंगा की पूजा करें.
  • भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें.
  • मौन व्रत रखें, जिससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
  • शाम को तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं.
  • ‘ओम पृत देवताए नमः’ मंत्र का जाप करें.
  • सात्विक भोजन करें.

मौनी अमावस्या पर क्या न करें

  • तामसिक भोजन और मांसाहार से परहेज करें.
  • शराब का सेवन न करें.
  • किसी से विवाद न करें और झूठ बोलने से बचें.
  • देर तक सोने से परहेज करें.

प्रयागराज कुंभ में अमृत स्नान

इस वर्ष प्रयागराज में पूर्ण कुंभ मेला आयोजित हो रहा है. मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी संगम तट पर अमृत स्नान का दुर्लभ योग है. इस शुभ अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु संगम तट पर गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर पितरों को जल तर्पण करेंगे. गंगा स्नान और पिंडदान करने से इस दिन का फल कई गुना बढ़ जाता है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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