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Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा से होता है यह लाभ, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मां की आरती

Navratri 2023: शेरनी पर सवार मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है. इनकी उपासना से समस्त सांसारिक कष्टों से छुटकारा मिलता है.

Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. आज मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. माता के माथे बने चंद्रमा के कारण ही उन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है. शेरनी पर सवार मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है. माता के दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं. इनकी उपासना से समस्त सांसारिक कष्टों से छुटकारा मिलता है. ऐसे में आइए जानते हैं आज के दिन बनने वाले शुभ मुहुर्त और मां की पूजा विधि के बारे में.

चैत्र नवरात्रि 2023 तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि की शुरूआत कल से ही हो गई है. कल शाम 23 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शुरु हुए चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि का समापन आज 24 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर होगा. बात करें आज के दिन के अमृत काल मुहूर्त की तो यह सुबह 06.24 से सुबह 07.57 तक रहेगा.
वहीं अभिजित मुहूर्त आज दोपहर में 12.03 से शुरू होते हुए दोपहर में 12.52 तक रहेगा. इसके अलावा सबसे शुभ माने जाने वाला सर्वार्थ सिद्धि योग भी सुबह 06.21 से शुरू होते हुए दोपहर में 01.22 तक रहेगा. इस काल में पूजा अति उत्त्तम मानी गई है. वही आज बन रहा रवि योग दोपहर 01.22  से शुरू होते हुए कल 25 मार्च, सुबह 06.20 तक रहेगा.

मां चंद्रघंटा की इस विधि से करें पूजा

मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय लाल और नारंगी रंग के कपड़े पहनें. माता चंद्रघंटा को लाल चंदन, लाल चुनरी, लाल रंग के फूल चढाएं. इसके अलावा मां चंद्रघंटा को चमेली का फूल अर्पित करें. मां को दूध से बनी हुई मिठाई और लाल फल का भोग लगाएं. पूरे विधि विधान से मां की पूजा करने के बाद मां की आरती करें और हो सके तो दुर्गा चालीसा का पाठ करें. मां की पूजा करने से साहस और विनम्रता में वृद्धि होती है. इसके अलावा कानूनी मामलों में भी सफलता मिलती है.

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मां चंद्रघंटा की आरती

जय मां चन्द्रघण्टा सुख धाम. पूर्ण कीजो मेरे काम॥

चन्द्र समाज तू शीतल दाती. चन्द्र तेज किरणों में समाती॥

मन की मालक मन भाती हो. चंद्रघंटा तुम वर दाती हो॥

सुंदर भाव को लाने वाली. हर संकट में बचाने वाली॥

हर बुधवार को तुझे ध्याये. श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥

मूर्ति चन्द्र आकार बनाए. शीश झुका कहे मन की बाता॥

पूर्ण आस करो जगत दाता. कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥

कर्नाटिका में मान तुम्हारा. नाम तेरा रटू महारानी॥

भक्त की रक्षा करो भवानी.

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