काल भैरव, भगवान शिव
Sawan Budh Ashtami 2023: सावन मास में अष्टमी तिथि व्रत का बहुत ही खास माना जाता है. इस दिन भगवान शिव का रुप माने जाने वाले काल भैरव की पूजा भगवान भोलेनाथ के साथ की जाती है. बुधवार के दिन अष्टमी होने के कारण इस बुध अष्टमी कहा जाता है. माना जाता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से भूत प्रेत व नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं. इस बार तिथि 26 जुलाई को पड़ रही है. सावन और अधिक मास में बुधाष्टमी व्रत पड़ने से इसका महत्व बढ़ गया है. वहीं इस दिन रवि नामक शुभ योग भी बन रहा है. आइए जानते है किस विधि से पूजा करने से मिलेगा लाभ.
इस विधि से करें काल भैरव की पूजा
अगर आप काल भैरव की पूजा करने जा रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखें कि आपने भले ही इस दिन व्रत रखा हो, लेकिन काल भैरव की पूजा सूर्यास्त के बाद ही करें. ज्योतिषियों के अनुसार भगवान काल भैरव का श्रृंगार सिंदूर और चमेली के तेल से करना फलदायी होता है.
पूजा के दौरान शुद्धता का विशेष तौर पर ध्यान रखें और पूजा से पहले स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. हो सके तो इस दिन पास के किसी भैरव या शिव मंदिर में जाएं और उत्तर की तरफ अपना मुख रखते हुए भगवान काल भैरव या शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाएं.
इस उपाय से मिलती है शत्रुओं पर विजय
यदि आप काल भैरव के मंदिर में जाते हैं तो उनका श्रृंगार करने के बाद लाल फूल चढ़ाते हुए लाल चंदन, सुपारी, अक्षत और जनेऊ के साथ नारियल चढ़ायें. जहां तक हो सके मंदिर में कुछ दान अवश्य करें. मान्यता के अनुसार इस दिन काल भैरव को गुड़-चने या इमरती आदि का भोग भी लगाया जाता है.
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अगर आप दीपक जला रहे हैं तो उसमें सरसों के तेल का उपयोग करें. आप चाहें तो काल भैरव के मंत्र का जाप भी कर सकते हैं. इस दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाने से भी काल भैरव प्रसन्न होते हैं. विधि विधान से की गई उनकी पूजा से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और शत्रुओं का नाश होता है.