Bharat Express

Shaktipeeth In India: भारत के 9 प्रमुख शक्तिपीठ, जहां गिरे मां सती के अंग, जानिए भारत के 9 चमत्कारी शक्ति स्थलों की रहस्यमयी कहानियां

भारत के शक्तिपीठों में मां सती के अंगों के गिरने से जुड़े पौराणिक स्थल शामिल हैं। कामाख्या, कालीघाट, नैना देवी जैसे मंदिर आस्था, तंत्र और शक्ति का केंद्र माने जाते हैं.

Shaktipeeth In India

भारत देश को देवी-उपासना की भूमि कहा जाता है, जहां मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों की मान्यता है. ये शक्तिपीठ वे स्थान हैं जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे. इन स्थलों को देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है और यहां हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं. आइए जानते हैं कुछ प्रमुख शक्तिपीठों के बारे में, जिनका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत गहरा है.

कामाख्या शक्तिपीठ- तांत्रिक साधना का केंद्र

कामाख्या मंदिर असम के गुवाहाटी के पास नीलांचल पर्वत पर स्थित है. इसे मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि यहां माता सती का योनि भाग गिरा था. यह मंदिर विशेष रूप से तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध है और हर साल ‘अंबुबाची मेला’ के समय लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

विंध्याचल शक्तिपीठ- तीन देवियों का संगम

उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में स्थित विंध्याचल शक्तिपीठ गंगा नदी के तट पर बसा है. यह मां विंध्यवासिनी को समर्पित है. यहां साथ ही मां काली और मां अष्टभुजा देवी के मंदिर भी स्थित हैं, जो इसे एक विशेष आध्यात्मिक स्थल बनाते हैं.

हरसिद्धि शक्तिपीठ- उज्जैन की गरिमा

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित हरसिद्धि मंदिर भी 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यहां माता सती की कोहनी गिरी थी. उज्जैन, जो कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए भी प्रसिद्ध है, हरसिद्धि मंदिर के कारण और भी अधिक पवित्र माना जाता है.

ज्वाला देवी मंदिर- अनन्त अग्नि की शक्ति

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर की खासियत यहां बिना किसी ईंधन के लगातार जलती नौ ज्वालाएं हैं. मान्यता है कि यहां देवी सती की जिह्वा गिरी थी. पांडवों ने भी इस स्थान की खोज कर यहां देवी की पूजा की थी.

पूर्णागिरि शक्तिपीठ- पर्वतीय आस्था का केंद्र

उत्तराखंड के चंपावत जिले में समुद्र तल से लगभग 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित पूर्णागिरि मंदिर भी शक्तिपीठों में शामिल है. ऐसा कहा जाता है कि यहां मां सती की नाभि गिरी थी. नवरात्रों के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.

चिंतापूर्णी शक्तिपीठ- छिन्नमस्तिका का धाम

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित चिंतापूर्णी मंदिर में मां सती के चरण गिरे थे. यहां देवी को छिन्नमस्तिका के रूप में पूजा जाता है और माना जाता है कि यहां आने से सारी चिंताएं समाप्त हो जाती हैं.

कालीघाट शक्तिपीठ- कोलकाता की शक्ति

कोलकाता का कालीघाट मंदिर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहां माता सती के पांव की चार उंगलियां गिरी थीं. यह मंदिर तांत्रिक पूजा और शक्ति साधना का प्रमुख केंद्र है और हर साल लाखों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं.

नैना देवी मंदिर- नेत्रों की देवी का धाम

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित नैना देवी मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. कहा जाता है कि यहां माता सती के नेत्र गिरे थे, जिससे इसका नाम नैना देवी पड़ा. यह स्थान सालभर श्रद्धालुओं से भरा रहता है.

महालक्ष्मी शक्तिपीठ- कोल्हापुर की आभा

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर भी एक प्रमुख शक्तिपीठ है. ऐसा माना जाता है कि यहां मां सती का त्रिनेत्र गिरा था. यह मंदिर अपनी वास्तुकला और विशेष खगोलीय घटनाओं के लिए भी जाना जाता है.

तारापीठ- तंत्र विद्या का प्रसिद्ध स्थल

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित तारापीठ मां तारा को समर्पित है. यह स्थान तांत्रिक साधना के लिए विशेष रूप से विख्यात है. मान्यता है कि यहां देवी के नयन गिरे थे, जिसके कारण इसका नाम ‘तारापीठ’ पड़ा.

भारत के शक्तिपीठ सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शक्ति, आस्था और संस्कृति के प्रतीक हैं. यहां हर स्थान की अपनी अलग मान्यता और महत्ता है. ये मंदिर न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा हैं.


ये भी पढ़ें: हनुमान जयंती के अवसर पर घर में लगाएं ऐसी तस्वीर, दूर होगा वास्तु दोष और नकारात्मकता


-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read