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Rajasthan: ज्योति खंडेलवाल को बीजेपी अब विधानसभा चुनाव में उतार सकती है. वह करीब 20 साल से कांग्रेस के लिए काम कर रही थीं.

Election Commission. ऐसे में चुनावी मशीनरी पर सवाल खड़े होना ज़ाहिर सी बात है। जो भी नेता हारता है वो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) या चुनावी मशीनरी को दोषी ठहराता है।

बुधनी से सीएम शिवराज सिंह चौहान चुनावी मैदान में हैं. इसको लेकर सामने आया है कि वो चुनाव लड़ने के लिए जन सहयोग का सहारा ले रहे हैं.

सिंधिया समर्थक जो नेता 2020 के चुनाव में हार गए थे. उन्हें भी बीजेपी ने टिकट दिया है. इनमें डबरा से इमरती देवी, सुमावली से ऐंदल सिंह कंषाना और मुरैना से रघुराज सिंह कंषाणा का नाम शामिल है.

चुनावी राजनीति में जीत का सबसे अहम पैमाना जाति को ही माना जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में ठाकुर-ब्राह्मणों की केमिस्ट्री में जाति का ये गणित फेल होता दिख रहा है। 14 फीसदी से भी कम आबादी वाले सामान्य वर्ग को 37 प्रतिशत उम्मीदवारी मिली है।

राजस्थान चुनाव में दोनों ही पार्टियों को एक दूसरे के दो-दो दिग्गज चेहरों ने परेशान कर दिया है। कांग्रेस को दीया कुमारी और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ तो वहीं बीजेपी को मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के सामने मजबूत चेहरा नहीं मिल रहा है।

राजस्थान की राजनीति में जाट वोट बैंक काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। 2018 में 34 जाट विधायक विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए। यही कारण है कि दोनों प्रमुख राजनीतिक संगठनों के साथ ही अन्य दल भी जाट वोट बैंक को साधने की कोशिश करते नजर आते हैं।

छत्तीसगढ़ की सभी 90 विधानसभा सीटों पर 7 नवंबर और 17 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 3 दिसंबर को सामने आएंगे.

विधानसभा चुनाव में नामांकन करने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर है. इससे पहले पार्टी अपने कुछ सीटों पर प्रत्याशियों को बदल सकती है. ताकी चुनाव में नेताओं के विरोध का कुछ नुकसान न हो.

CM Shivraj singh Chouhan: दिग्विजय सिंह को पुराने बयान की याद दिलाते हुए कहा कि लड़कियों को टंचमाल कहने वाले कभी बेटियों का सम्मान नहीं कर सकते है.