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Opposition Alliance I.n.d.i.a: लोकसभा चुनाव से पहले की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अब सीट बंटवारे के अलावा इन फैसलों को लेकर भी पेंच फंसता जा रहा है

सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि वो मीडिया में ऐसे बयान न दें जो कांग्रेस के हितों को नुकसान पहुचाएं. हैदराबाद में CWC में बोलते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने ये भी कहा कि पार्टी नेताओं को अंदरूनी कलह पर मीडिया के सामने नहीं बोलना चाहिए.

विपक्ष का कहना है कि भाजपा ने लंबे अरसे से एनडीटीवी चैनल का बहिष्कार किया हुआ था। जब तक कि उसे अडानी समूह ने ख़रीद नहीं लिया.

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि ने बीजेपी ने जयंत चौधरी की RLD से गठबंधन करने के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं. लेकिन आखिरी फैसला केंद्रीय आलाकमान करेगी. हाल ही में आरएलडी सुप्रीमो जयंत चौधरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले थे। तब से कयासों का बाजार गर्म है कि चौधरी एनडीए का रूख कर सकते हैं।

कांग्रेस के कई नेताओं ने CWC मीटिंग में मांग रखी है कि I.N.D.I.A गठबंधन के सहयोगियों के साथ सीट शेयरिंग पर चर्चा इस साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद की जाए।यह मांग करने वाले ज्यादातर नेता उन राज्यों से हैं.

संसद के विशेष सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री ने पुरानी संसद के गौरवमयी इतिहास को याद किया. सत्र का दूसरा दिन नए संसद भवन में होगा. केंद्र 4 अहम बिलों के साथ इस बार सदन में उतर रहा है. तो वहीं विपक्ष 9 मुद्दों पर केंद्र को घेरने की तैयारी कर चुका है.

“इंडिया” गठबंधन को समझना चाहिए कि समाधान मीडिया के साथ संवाद बढ़ाने और उसकी साख को बचाए रखने में है।

सनातन धर्म को मिटाने की बात करने वाले विपक्षी दलों के नेता के बयान के बाद कांग्रेस की अगुवाई वाले I.N.D.I.A गठबंधन की भोपाल में होने वाली रैली को टालने की खबर है. सवाल उठता है कि आखिर रैली क्यों टल गई? क्या CM शिवराज जो डरने वाली बात कह रहे हैं वो सच है?

विपक्ष के INDIA गठबंधन पर बीजेपी लगातार हमले बोल रही है. बीजेपी ने इंडिया गठबंधन को घमंडिया अलायंस बताया है. जिसको लेकर अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पलटवार किया है.

लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए गठबंधन को मात देने के लिए 26 दलों ने मिलकर ‘इंडिया गठबंधन’ बनाया है. लेकिन 'सीट शेयरिंग' पर स्थिति साफ नहीं हो सकी है. गठबंधन के कई दल विभिन्न राज्यों में सत्ता में हैं या फिर जनाधार के लिहाज से मजूबत स्थिति में हैं. ऐसे में कमजोर दलों के साथ सीट बंटवारा पेचीदा मसला होगा.