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CBSE Board Exam 2025: 10वीं बोर्ड परीक्षा साल में 2 बार कराने का प्रस्ताव, हिंदी-इंग्लिश अनिवार्य, लेकिन बाकी भाषा न लेने पर ड्राफ्ट पर उठे सवाल

CBSE के इस नए प्रस्ताव में अंग्रेजी और हिंदी को ‘भाषा 1’ और ‘भाषा 2’ के रूप में रखा गया है, जबकि अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं को ‘क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं के समूह’ में रखा गया है.

CBSE Board Exam 2025

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2025-26 सत्र से 10वीं बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव के बाद भाषा विषयों को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि यह मौजूदा सत्र 2024-25 के पाठ्यक्रम से अलग है.

सीबीएसई के इस नए प्रस्ताव में अंग्रेजी और हिंदी को ‘भाषा 1’ और ‘भाषा 2’ के रूप में रखा गया है, जबकि अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं को ‘क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं के समूह’ में रखा गया है. इसके अलावा, हिंदी और अंग्रेजी की परीक्षाएं अलग-अलग दिन आयोजित की जाएंगी, जबकि अन्य सभी भाषाओं की परीक्षा एक ही दिन होगी. इस फैसले को लेकर आपत्तियां उठाई जा रही हैं.

पंजाबी समेत 14 भाषाओं का क्या होगा?

सीबीएसई के इस प्रस्ताव को लेकर पंजाब सरकार ने सवाल उठाया कि क्या पंजाबी भाषा को हटाया गया है? इस पर बोर्ड ने स्पष्ट किया कि प्रस्ताव में दी गई भाषाओं की सूची केवल उदाहरण के लिए है और अभी यह अंतिम रूप से तय नहीं हुई है. सीबीएसई ने यह भी कहा कि वर्तमान में पढ़ाई जा रही सभी भाषाएं 2025-26 में भी जारी रहेंगी. इसमें पंजाबी, तेलुगु, कन्नड़, असमिया सहित 14 अन्य भाषाएं शामिल हैं, जो ‘क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं’ के समूह के अलावा भी उपलब्ध रहेंगी.

CBSE को भेजें अपने सुझाव

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अंग्रेजी और हिंदी को अनिवार्य भाषा बनाते हुए बाकी भाषाओं को वैकल्पिक क्यों रखा गया है. सीबीएसई ने इस प्रस्ताव पर सुझाव आमंत्रित किए हैं, जिन्हें 9 मार्च 2025 तक भेजा जा सकता है. हालांकि, नए प्रस्ताव और मौजूदा पाठ्यक्रम के बीच भाषा विषयों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है.

CBSE के मौजूदा भाषा नियम

वर्तमान में सीबीएसई 8वीं कक्षा तक तीन भाषाओं की पढ़ाई करवाता है. यदि कोई छात्र 8वीं में तीसरी भाषा में फेल हो जाता है, तो उसे 9वीं और 10वीं में फिर से मौका मिलता है. तीसरी भाषा पास किए बिना छात्र 10वीं बोर्ड परीक्षा में नहीं बैठ सकते. 10वीं में पांच अनिवार्य विषयों में से हिंदी या अंग्रेजी में से किसी एक को पास करना आवश्यक होता है. यदि कोई छात्र इनमें से किसी एक विषय में फेल हो जाता है, तो उसे तीसरी भाषा के वैकल्पिक पेपर का विकल्प दिया जाता है.

9वीं और 10वीं में छात्रों को दो भाषाएं पढ़नी होती हैं, जिनमें से एक हिंदी या अंग्रेजी होना अनिवार्य है. इन दोनों भाषाओं के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम (कोर्स ए और कोर्स बी) उपलब्ध हैं, जिन्हें छात्र अपनी पसंद के अनुसार चुन सकते हैं.

सीबीएसई के इस नए प्रस्ताव ने भाषा विषयों को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है. जहां हिंदी और अंग्रेजी को प्रमुखता दी गई है, वहीं अन्य भाषाओं की स्थिति को लेकर सवाल उठ रहे हैं. अब यह देखना होगा कि इस पर प्राप्त सुझावों के बाद बोर्ड क्या अंतिम निर्णय लेता है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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