
Toll Plaza: कभी कभी हमारे समाने कुछ ऐसे खबर आते हैं, जिसपर हम विश्वास नहीं कर पाते हैं. भारत का एक ऐसा गांव है जो काफी छोटा हैं, बावजूद इसके गांव से सालाना लगभग 500 करोड़ का कलेक्शन होता है. एक गांव से इतना बड़ा कलेक्शन कैसे होता है. जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. आइए आपको बताते है क्या है पूरा मामला.
दरअसल गुजरात के वडोदरा जिले में भरथाना गांव के करजन टोल प्लाजा ने देश के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले टोल प्लाजा बन गया है. इसकी सालाना कमाई लगभग 500 करोड़ रुपये है. 2011 की जनगणना के अनुसार, इस गांव में केवल 364 घर और 1,761 लोग हैं, फिर भी यह टोल प्लाजा पिछले चार साल से लगातार 400 करोड़ रुपये से अधिक कमा रहा है. NH-48 पर स्थित यह टोल प्लाजा दिल्ली-मुंबई-चेन्नई को जोड़ने वाला प्रमुख राजमार्ग है, जो उत्तर, पश्चिम और दक्षिण भारत को आपस में जोड़ता है.
NH-48 तमिलनाडु और हरियाणा के ऑटोमोबाइल हब को जोड़ता है, साथ ही गुजरात के औद्योगिक शहरों और दाहेज बंदरगाह तक पहुंच प्रदान करता है. इसका एक हिस्सा उत्तर में दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसवे और दिल्ली-जयपुर राजमार्ग के रूप में जाना जाता है, जबकि पश्चिम में यह अहमदाबाद-मुंबई राजमार्ग कहलाता है. करजन टोल प्लाजा (Toll Plaza) वडोदरा और मुंबई के बीच औद्योगिक गलियारे पर स्थित है. गुजरात, जो भारत का प्रमुख रसायन और पेट्रोकेमिकल उत्पादन केंद्र है, की अधिकांश औद्योगिक इकाइयां मध्य और दक्षिण गुजरात में हैं, और इन तक पहुंचने का रास्ता करजन से होकर गुजरता है.
कमाई का रहस्य
दाहेज बंदरगाह से माल की आवाजाही और औद्योगिक गतिविधियों के कारण करजन टोल प्लाजा पर 65% से अधिक वाहन कमर्शियल हैं, जैसे कंटेनर, ट्रक और टैंकर. इस टोल प्लाजा का संचालन प्रकाश एस्फाल्टिंग्स एंड टोल हाईवेज (PATH) इंडिया लिमिटेड द्वारा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के लिए किया जाता है. ऑपरेशंस मैनेजर रंगेश मिश्रा ने कहा, “यात्रियों के लिए यह एक साधारण टोल प्लाजा हो सकता है, लेकिन हमारे लिए यह उत्तर-दक्षिण यातायात को सुचारू रखने का केंद्र है.”
2009 से शानदार प्रदर्शन
2009 में स्थापित यह टोल प्लाजा गुजरात की फैक्ट्रियों से मुंबई के बंदरगाहों तक माल ढुलाई के लिए प्रमुख मार्ग होने के कारण हमेशा से बेहतर प्रदर्शन करता रहा है. गुजरात के सड़क और भवन विभाग के सचिव पी.आर. पटेलिया ने बताया कि औद्योगिक यातायात के अलावा, यह टोल प्लाजा यात्री वाहनों से भी अच्छी खासी वसूली करता है.
विवाद और फास्टैग की शुरुआत
13 साल पहले करजन टोल प्लाजा उस समय सुर्खियों में आया था, जब पूर्व सांसद विट्ठल रादड़िया ने एक कर्मचारी पर पिस्तौल तान दी थी. यह टोल प्लाजा 24 घंटे तीन शिफ्टों में संचालित होता है, जिसमें 190 कर्मचारी कार्यरत हैं. इनमें 80 कर्मचारी टोल वसूली, 33 ड्राइवरों की सहायता, 5 आईटी कार्य और बाकी सफाई व रखरखाव में लगे हैं.
जाम-मुक्त संचालन
टोल प्लाजा पर दोनों तरफ 11-11 लेन हैं, और फास्टैग की वजह से यहां जाम की स्थिति नहीं बनती. नियमित रूप से यहां से गुजरने वाले ट्रांसपोर्टर प्रीतेश शाह ने कहा, “फास्टैग की सुविधा के कारण इंतजार नहीं करना पड़ता.” करजन टोल प्लाजा NHAI के फास्टैग पायलट प्रोजेक्ट का टेस्ट साइट था, जहां सफलता के बाद इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया. NHAI के पूर्व जनरल मैनेजर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर एस.पी. शर्मा ने बताया, “यह हमेशा से हमारा स्टार टोल प्लाजा रहा है. 2017 में यहां दैनिक टोल संग्रह 1 करोड़ रुपये को पार कर गया था.”
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-भारत एक्सप्रेस
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