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डार्क वेब में अवैध दाम में बिकती है खुफिया जानकारी और पर्सनल डेटा, जानें क्या है ये बला

Dark Web: इंटरनेट हमारी जिंदगी का एक महत्तवपूर्ण हिस्सा बन चुका है. अगर किसी को कुछ सर्च करना हो या फिर एक छोटी सी पेमेंट करनी हो सब कुछ इंटरनेट के जरिए ही हो रहा है. वैसे इंटरनेट की भी अपनी एक दुनिया है. हमारी रियल लाइफ की तरह ही इस दुनिया में भी बहुत कुछ होता बै इस दुनिया में एक शब्द डार्क वेब का है. लेकिन शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने डार्क वेब के बारे में नहीं सुना होगा. कोई यहां से ड्रग्स मंगवाता है, तो कोई नाबालिग बच्चों की पॉर्न बेचता है, तो कोई यहां बैंकिंग डेटा और पासवर्ड को बेचता है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे की इंटरनेट की दुनिया के सबसे काले हिस्से यानी डार्क वेब के बारे में.

क्या होता है डार्क वेब?

जैसे पृथ्वी की सतह के नीचे पानी की एक दुनिया होती है, उसी तरह से इंटरनेट की दुनिया में डार्क वेब है. यह इंटरनेट का वो हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है. इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है. हम इंटरनेट कंटेंट के केवल 4% हिस्से का इस्तेमाल करते है, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है. डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जिसमें ई-मेल, नेट बैंकिंग, आते हैं. डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर का इस्तेमाल किया जाता है. डार्क वेब पर ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाईल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें मिलती हैं.

कैसे इस्तेमाल होता है डार्क वेब?

डार्क वेब का इस्तेमाल ओनियन राउटिंग टेक्नोलॉजी के लिए किया जाता है. ये यूजर्स को ट्रैकिंग और सर्विलांस से बचाता है और उन्हें बरकरार रखने के लिए सैकड़ों जगह रूट और री-रूट करता है. आसान भाषा में कहा जाए तो डार्क वेब ढेर सारी आईपी एड्रेस से कनेक्ट और डिस्कनेक्ट होता है, जिससे इसको ट्रैक कर पाना असंभव हो जाता है. यहां यूजर की इन्फॉर्मेशन इंक्रिप्टेड होती है, जिसे डिकोड करना नाममुकिन है. डार्क वेब पर डील करने के लिए वर्चुअल करेंसी जैसे बिटकॉइन का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा इसलिए होता है, ताकि ट्रांजैक्शन को ट्रेस न किया जा सके.

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डार्क वेब पर होते है अवैध काम

डार्क वेब पर हत्याओं की सुपारी देने से लेकर हथियारों की तस्करी तक कई अवैध काम होते हैं. डार्क वेब पर यूजर्स से उनकी पर्सनल डिटेल लीक करने की धमकी देकर उनसे मोटे पैसे वसूले जाते हैं. साथ ही डार्क वेब पर ढेर सारे ऐसे भी स्कैमर्स होते हैं, जो बेहद सस्ते में वो चीजें भी बेचते हैं जो बैन हैं. बहुत से लोग वहां सस्ते फोन खरीदने के चक्कर में लाखों रुपये गवां देते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

 

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