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कर्नाटक सरकार ने SBI-PNB में सभी सरकारी खाते आखिर क्यों किए बंद? राज्य सरकार ने बताई इसके पीछे की वजह

कर्नाटक सरकार ने सभी खातों को बंद करने और एसबीआई और पीएनबी दोनों से धन निकालने के लिए 20 सितंबर की समय सीमा तय की है.

SBI-PNB Update

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SBI-PNB Update: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) बैंक को लेकर नए आदेश जारी हुए है. दरअसल, कर्नाटक सरकार ने राज्य में सभी सरकारी विभागों को भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बेंकों के साथ सभी लेन-देन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के आदेश दिए गए है. इस निर्णय के बाद राज्य विभागों को इन बैंकों में अपने अकाउंट को बंद करने और अपनी सेविंग निकालने का निर्देश दिया है.

कर्नाटक सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि, राज्य सरकार के विभागों, सार्वजनिक उद्यमों, निगमों, स्थानीय निकायों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों की ओर से भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक में रखे गए खातों को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए. इसके अलावा इन बैंकों में कोई और जमा या निवेश नहीं किया जाना चाहिए. यह आदेश सरकारी धन के दुरुपयोग और अवैध लेन-देन के आरोपों के बीच आया है.

SBI-PNB को लेकर कर्नाटक सरकार के नए आदेश

आदेश में इस बात पर जोर दिया गया है कि इन बैंकों में कोई और जमा या निवेश नहीं किया जाना चाहिए. राज्य ने सभी खातों को बंद करने और एसबीआई और पीएनबी दोनों से धन निकालने के लिए 20 सितंबर की समय सीमा तय की है. इसके अनुपालन की रिपोर्ट उप सचिव को देनी होगी. यह कठोर कदम कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार और विपक्षी बीजेपी के बीच विवादास्पद राजनीतिक लड़ाई के बाद उठाया गया है, जो कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों से उपजी है.

कर्नाटक सरकार ने क्यों लिया फैसला?

बता दें कि सिद्धारमैया सरकार में वित्त विभाग के सचिव डॉ पीसी जाफर ने यह निर्देश जारी किया है. दरअसल, दोनों बेंकों में जमा धन के दुरुपयोग के आरोपों के बीच यह फैसला लिया गया है. सरकार ने कहा कि ‘दुरुपयोग की कई बार चेतावनी देने के बावजूद एसबीआई और पीएनबी ने अपनी ओर से कोई कड़े कदम नहीं उठाए.

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जानें आखिर क्या है विवाद?

विवाद तब शुरू हुआ जब 26 मई को निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखर पी ने आत्महत्या कर ली और एक नोट छोड़ गए जिसमें 187 करोड़ रुपये के अनधिकृत हस्तांतरण का आरोप लगाया गया था. नोट में दावा किया गया था कि इस राशि में से 88.62 करोड़ रुपये अलग-अलग खातों में भेजे गए थे. इनमें आईटी फर्मों और हैदराबाद में एक सहकारी बैंक का खाता भी शामिल है. मामले को और जटिल बनाते हुए वित्त विभाग के आदेश में कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड से संबंधित धोखाधड़ी के आरोपों का हवाला दिया गया. जहां पीएनबी के बैंक अधिकारियों की संलिप्तता से कथित तौर पर धन की हेराफेरी की गई थी.

-भारत एक्सप्रेस 



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