
नगर निगम में कूड़ा सफाई के नाम पर खुली लूट मची हैं. सफाई का जो काम पहले करीब 150 करोड़ में होता था अब उसको दो गुणा दामों में कराने का करार कर दिया गया है. सफाई के नाम पर खजाने की सफाई में जुटे सिंडिकेट की कलई मंगलवार को पार्षदों की बैठक में खुल गई. 110 में से 85 पार्षदों ने सीधा मोर्चा खोल दिया. इसके बाद बैकफुट पर आए नगर निगम प्रशासन को सफाई के नए ठेके पर रोक लगानी पड़ी.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बीते तीन दिनों से सफाई का काम बंद है. शहर के विभिन्न इलाकों में कूड़े के ढेर लगे हैं. सफाई का काम निजीकरण किए जाने के तौर तरीकों का पार्षद ही विरोध कर रहे हैं. महापौर की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक में मंगलवार को भारी हंगामा होने लगा. पार्षद अनुराग मिश्र, मनीष रस्तोगी और मुन्ना मिश्र ने कंपनी को अचानक किए गए अनुबंध को सदन की अवमानना बताया. पार्षदों का आरोप था कि सदन में हुए निर्णय के विपरीत अनुबंध किया गया है. एक निजी कंपनी को मनमाने तरीके से काम दे दिया गया. बैठक में 85 पार्षदों ने एकजुट होकर तत्काल ठेका निरस्त कर नए सिरे से सड़को की लंबाई का परीक्षण कराने की मांग की. पार्षदों ने साथी पार्षदों पर कंपनी के कर्मचारियों की एफआईआर का भी मुद्दा उठाया. हंगामा देख कंपनी के प्रतिनिधि मौके से निकल गए.
सुरेश खन्ना ने भी किया निरीक्षण
कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने भी मंगलवार को राजधानी का निरीक्षण किया. उनको सफाई व्यवस्था बदहाल मिली. दौरे के दौरान उनके सामने भी ये मामला उठाया गया.
पहले कभी नहीं हुआ ऐसा विवाद
नगर निगम के इतिहास में सफाई को लेकर पहली बार इतना विवाद हो रहा है. महापौर के ख़िलाफ़ पार्षद मोर्चा खोले हुए है. नगर निगम के सफाई के ठेके को लेकर खुले आम पार्षद आरोप लगा रहे हैं. नगर निगम में महापौर रहे डॉ दिनेश शर्मा और डॉ सतीश चंद्र राय के कार्यकाल में कभी भी उनके ऊपर इस तरह के आरोप नहीं लगे थे.
पुरानी सफाई व्यवस्था रहेगी लागू
लखनऊ के नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह ने बताया कि सफाई की पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी. जल्दी ही नगर निगम के सदन की बैठक बुलायी जाएगी जहां पर इसपर फैसला होगा.
ये भी पढ़ें- Uttar Pradesh: फतेहपुर में मालगाड़ियों में टक्कर, दो लोको पायलट घायल
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.