(प्रतीकात्मक तस्वीर)
UP Assembly By-Election: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के बीच दिलचस्प मुकाबला आने वाले विधानसभा उपचुनाव में देखने को मिलेगा. लोकसभा चुनाव में झटका खाने के बाद बीजेपी के लिए जहां अपनी लोकप्रियता इस उपचुनाव में फिर से साबित करने की चुनौती होगी तो वहीं सपा और कांग्रेस के सामने लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराने का दबाव होगा.
चुनाव आयोग ने मंगलवार शाम महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा के आम चुनाव की घोषणा के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है. सूत्रों का कहना है कि आयोग यूपी के उपचुनाव की घोषणा भी आज की जाएगी.
लोकसभा चुनाव के बाद होने जा रहे उपचुनाव में कई प्रतिष्ठापूर्ण सीटों पर मुकाबला होगा. मैनपुरी की करहल सीट पर समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव के इस्तीफे के कारण चुनाव हो रहा है. ऐसे में उनके सामने अपनी पारिवारिक सीट जीतने का दबाव है. जातीय गणित में ये सीट सपा के लिए अनुकूल है पर भाजपा इसको जीतने लिए पूरी ताकत झोंके है.
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर भी दोनों दल टक्कर में होंगे. हिंदुत्व कार्ड की प्रयोगशाला मानी जाने वाली इस सीट को जीतकर भाजपा फिर साबित करना चाहेगी कि अयोध्या में मिली हार सिर्फ तात्कालिक झटका था और सपा का यहां पर कोई आधार नहीं है. यूपी की कुल 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 9 सीटें ऐसी हैं, जहां के विधायक सांसद बन चुके हैं.
इन सीटों पर जोर आजमाइश
करहल और मिल्कीपुर के अलावा अंबेडकर नगर जिले की कटेहरी सीट, गाजियाबाद शहर, अलीगढ़ में खैर सीट, मुजफ्फरनगर में मीरापुर सीट, मुरादाबाद की कुंदरकी सीट, प्रयागराज की फूलपुर सीट और मिर्जापुर की मझवा सीट भी शामिल हैं. इसके अलावा कानपुर की सीसामऊ सीट भी है, जहां के सपा विधायक इरफान सोलंकी की सदस्यता कोर्ट से सजा मिलने के बाद रद्द होने के कारण चुनाव हो रहा है. सपा ने यहां उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को मैदान में उतार कर एक तीर से दो निशाने साधे हैं. पार्टी यहां मुस्लिम कार्ड खेलने के साथ ही विधायक की पत्नी को आगे कर सहानभूति लेना चाह रही है.
बहराइच दंगों का असर
बहराइच में हुए दंगे का असर भी विधानसभा उपचुनाव में पड़ सकता है. बहराइच में एक युवक की मौत के बाद प्रदेश खासकर अवध के इलाके में तनाव बढ़ गया है. इससे ध्रुवीकरण की आशंका बढ़ गई है.
-भारत एक्सप्रेस