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By Vijay Ram
G20 Summit India 2023: स्वास्थ्य और सतत विकास के लिए सक्रिय पैन-यूरोपीय कमीशन के सदस्य एवं यूनाइटेड किंगडम के पूर्व ट्रेजरी मिनिस्टर जिम ओ’नील (Jim O’Neill) ने भारत की सफल G-20 अध्यक्षता के बाद BRICS की एकजुटता और प्रभाव को लेकर अपना नजरिया पेश किया. ओ’नील के मुताबिक, दिल्ली में हुए G20 के आयोजन ने एक सामूहिक लड़ाई जीत ली है. उनका कहना है कि नई दिल्ली में पिछले सप्ताह के शिखर सम्मेलन से सामने आए संयुक्त घोषणापत्र ने इस बात की और पुष्टि की कि G20 वैश्विक समस्याओं के लिए वास्तविक वैश्विक समाधान पेश करने की गुंजाइश और वैधता वाला एकमात्र मंच है.
जिम ओ’नील, जो गोल्डमैन सच एसेट मैनेजमेंट के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, उनका कहना है कि G7 और नए विस्तारित ब्रिक्स जैसे वैकल्पिक समूह तुलनात्मक रूप से दिखावे की तरह दिखते हैं. नील ने कहा, ”BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका) के हालिया शिखर सम्मेलन के बाद, जहां समूह 6 नए सदस्यों को जोड़ने पर सहमत हुआ, मैंने तर्क दिया कि न तो BRICS और न ही G7 (अमेरिका, जापान, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, फ्रांस, इटली और यूरोपीय संघ) के पास वैश्विक चुनौतियों से निपटने की विश्वसनीयता या क्षमता है. इनके बजाए G20 (जिसमें दुनिया की 19 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं और यूरोपीय संघ शामिल हैं) वैश्विक समस्याओं के वास्तविक वैश्विक समाधान पेश करने की वैधता वाला एकमात्र समूह बन गया है.”
नील लिखते हैं कि पिछले सप्ताह नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन से सामने आया संयुक्त घोषणापत्र इसकी और पुष्टि करता है. G20 के सदस्य देश व्यापक मुद्दों के समाधान के लिए आम सहमति पर पहुंचे. स्पष्ट चुनौतियों के बावजूद – जैसे कि सदस्य देशों के कामकाज में काफी अंतर – वे एक लंबी अवधि के बाद G20 की प्रासंगिकता को फिर से स्थापित करने में कामयाब रहे, जिसमें इसकी भूमिका पर सवाल उठाया गया था.
नील लिखते हैं, ”भारत-चीन में एकजुटता की कमी नए BRICS के लिए एक बड़ी बाधा होगी. हाल में ही G20 शिखर सम्मेलन से शी जिनपिंग की अनुपस्थिति ने इन दोनों देशों के बीच विभाजन को और गहरा कर दिया है. अब अगर शी हमें अन्यथा समझाना चाहते हैं, तो उन्हें मोदी तक पहुंचना होगा. मौजूदा स्थिति के अनुसार, G20 बैठक की सफलता मोदी को शिखर सम्मेलन के इस सत्र में स्पष्ट विजेता बनाती है. कई धारणाएँ मायने रखती हैं, और इस समय मोदी शी जिनपिंग की तुलना में अधिक दूरदर्शी राजनेता नजर आते हैं.”
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नील ने लिखा, ”हमें उन ताकतों की सराहना करनी चाहिए जिन्होंने अंतिम विज्ञप्ति को आगे बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई, संभवत वे- भारत और अमेरिका हैं. नई दिल्ली डिक्लेरेशन जलवायु परिवर्तन, एक संशोधित विश्व बैंक, संक्रामक रोग नियंत्रण, आर्थिक स्थिरता, यूक्रेन युद्ध और अन्य मामलों जैसे वैश्विक मुद्दों के समाधान के लिए एक मजबूत ठोस प्रयास में पहला कदम हो सकता है. हालाँकि इस एजेंडे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति में सहमति हुई थी, लेकिन इसमें भाग लेने वाले रूसी और चीनी प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी सरकारों से मंजूरी लिए बिना किसी भी चीज़ पर हस्ताक्षर नहीं किए होंगे. इससे ये जाहिर होता है कि BRICS की एकजुटता खतरे में होगी.”
— भारत एक्सप्रेस
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