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भारत में अमेरिकी राजदूत Eric Garcetti ने भारतीय लोकतंत्र की तारीफ में कह दी बड़ी बात, जानें- क्या कहा

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने एक कार्यक्रम के दौरान देश में लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया को लेकर अपने विचार साझा किए.

एरिक गार्सेटी. (फोटो साभार: फेसबुक/Dan Jameyson)

वाशिंगटन: भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने देश में लोकतंत्र के बारे में चिंताओं को खारिज कर दिया है और कहा है कि भारतीय कई मायनों में अमेरिकियों से बेहतर हैं. गार्सेटी ने बीते गुरुवार (9 मई) को नई दिल्ली में अमेरिकी थिंक-टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए यह टिप्पणी की.

अमेरिकी सरकार के शीर्ष राजनयिक गार्सेटी ने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि ‘अब से 10 साल बाद भारत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के मामले में एक जीवंत लोकतंत्र बनने जा रहा है.’ भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर चिंता व्यक्त करने वाले एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी बताया कि कैसे पहाड़ों में एक व्यक्ति के लिए वोटिंग मशीन ले जाई जाती है, ताकि वह अपना वोट डाल सके.

चुनावों की तारीफ

उन्होंने कहा, ‘फिर कुछ चीजें हैं जो शायद बदतर हैं और कुछ चीजें हैं, जो बेहतर हैं. उनके पास एक कानून है, आप वोट देने के लिए दो किलोमीटर से अधिक नहीं जा सकते. तो एक आदमी होगा, जो पहाड़ों में किसी स्थान पर भिक्षु के रूप में रहता है. वे वोटिंग मशीन लाने, वोट दिलाने के लिए दो दिनों तक पैदल चलेंगे.’ उन्होंने कहा कि भारत में चुनाव के दौरान ऐसे लोग होते हैं, जो ट्रकों की जांच करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी के पास नकदी न हो.

उन्होंने कहा, ‘संभवत: ये वॉक-इन मनी है, जैसा कि वे इसे फिलाडेल्फिया में कुछ शहरों में कहते हैं, यह एक परंपरा की तरह है, जहां नकद से आपको वोट और इस तरह की चीजें मिलती है. इसलिए, मैं कुछ चीजों से प्रभावित हूं वो करो जो हमसे बेहतर है.’

राज्य सरकारों की तारीफ

एरिक गार्सेटी ने इस बात की भी प्रशंसा की कि भारत में राज्यों और केंद्र सरकार के बीच शक्ति का बंटवारा कैसे होता है. उन्होंने कहा कि अगर आप भारत में राज्य सरकारों को नहीं जानते हैं, जो केंद्र की तरह ही शक्तिशाली हैं और विपक्षी दलों द्वारा संचालित हैं. और आप सत्ता में रही अन्य पार्टियों के बारे में भी ढेर सारी आलोचनाएं कर सकते हैं. गार्सेटी ने कहा कि अगर आप भारत के इतिहास को देखें तो कोई स्वर्ण युग नहीं है, जहां हर किसी के अधिकारों का सम्मान किया गया है.

-भारत एक्सप्रेस

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