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China की चाल पर India ने चला दांव! जो हवाई अड्डा ड्रैगन ने बनवाया, उसे श्रीलंका ने किया भारतीय कंपनियों के हवाले

चीन द्वारा श्रीलंका में हजारों करोड़ की लागत वाली कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं. जिनमें से एक प्रोजेक्ट हवाई अड्डे का था…जिसका प्रबंधन अब श्रीलंका ने भारतीय कंपनियों को सौंप दिया है.

भारत और श्रीलंका

भारत और श्रीलंका

एशिया के दो सबसे बड़े देशों चीन और भारत के बीच कूटनीतिक दांव-पेंच चलते रहते हैं. इनसे जुड़ी एक चौंकाने वाली खबर अब श्रीलंका से सामने आई है. श्रीलंकाई सरकार ने करोड़ों डॉलर की लागत से तैयार हवाई अड्डे का प्रबंधन दो भारतीय और रूसी कंपनियों को सौंप दिया है, जो कि चीन निर्मित है.

बता दें कि चीन द्वारा श्रीलंका में हजारों करोड़ की लागत वाली कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं. जिनमें से एक प्रोजेक्ट इस हवाई अड्डे का था. श्रीलंका को अपने आर्थिक हालात दुरुस्त करने के लिए भारत के सहयोग की जरूरत है, ऐसे में उसने भारतीय कंपनियों के लिए अपना हवाई अड्डा सौंपने का फैसला कर लिया है.

श्रीलंकाई सरकार की कैबिनेट के एक बयान के अनुसार, चीन निर्मित हवाई अड्डे में 209 मिलियन डॉलर की लागत आई थी. शुक्रवार, (26 अप्रैल) को श्रीलंकाई सरकार ने बताया ​​कि उन्होंने अपने आर्थिक घाटे को कम करने के लिये ये डील की है. विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के साथ श्रीलंका को घाटा हो रहा था. श्रीलंका पहले से ही चीन के कर्ज तले दबा जा रहा है.

एयरपोर्ट का निर्माण 2013 में हुआ

मत्ताला राजापक्षे इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण साल 2013 में हुआ था. जिसका उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे ने किया था. इस एयरपोर्ट के निर्माण के लिए वित्तीय मदद चीन के एक्सिम बैंक ने दी थी. जो विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए उधार लिए गए 4.2 बिलियन डॉलर का एक हिस्सा है. हालांकि यह एयरपोर्ट अपने निर्माण के बाद से ही विवादों में घिरा हुआ है.दरअसल यहां कम संख्या में फ्लाइट्स आती हैं. साथ ही यह जिस जगह बना है, वह पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील है. इस एयरपोर्ट के निर्माण से श्रीलंका की सरकार को काफी घाटे का सौदा उठाना पड़ा था .यही वजह है कि श्रीलंका की सरकार ने इस एयरपोर्ट का मैनेजमेंट भारत की कंपनी शौर्य एयरोनॉटिक्स (प्राइवेट) लिमिटेड और रूस की कंपनी रीजन्स मैनेजमेंट कंपनी को 30 वर्षों के लिए सौंप दिया है.

भारत श्रीलंका व्यापार और आर्थिक संबंध

भारत लबें समय से श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार रहा है. बता दे कि सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) में श्रीलंका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा है.बता दें कि दोनों देशों के बीच 2021 में 5.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अब तक का व्यापार हुआ. सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के अनुसार, भारत श्रीलंका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का सबसे बड़ा स्रोत था.भारत से अब तक कुल FDI 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. 2021 में, भारत श्रीलंका के लिए एफ़डीआई का सबसे बड़ा स्रोत था और कुल निवेश 142 मिलियन अमेरिकी डॉलर थी. भारत से मुख्य निवेश पेट्रोलियम खुदरा, पर्यटन और होटल, विनिर्माण, रियल एस्टेट, दूरसंचार और बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्रों में रही है. भारत से श्रीलंका आने वाले विदेशी पर्यटकों में सबसे ज़्यादा भारतीय पर्यटक ही आकर्षक का  केन्द्र बने रहते है.

-भारत एक्सप्रेस

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