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‘तेहरान के साथ व्यापारिक सौदों पर विचार करने वाले…’, भारत-ईरान चाबहार बंदरगाह समझौते पर तिलमिलाया अमेरिका

भारत ने पहली बार 2003 में इस योजना का प्रस्ताव रखा था, लेकिन ईरान पर उसके संदिग्ध परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों ने बंदरगाह के विकास को धीमा कर दिया.

Vedant patel

US विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल (फोटो- ANI)

भारत द्वारा ईरान में चाबहार बंदरगाह को 10 साल तक संचालित करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद अमेरिका ने एक चेतावनी भरा बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि तेहरान के साथ व्यापारिक सौदों पर विचार करने वाले किसी को भी प्रतिबंधों के संभावित जोखिम के बारे में पता होना चाहिए.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि अमेरिका भारत की विदेश नीति के लक्ष्यों और ईरान के साथ द्विपक्षीय संबंधों का सम्मान करता है, लेकिन वह ईरान के खिलाफ प्रतिबंध लागू करने पर कायम है. हम इन रिपोर्टों से अवगत हैं कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह के संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

ईरान पर प्रतिबंध लागू रहेंगे

पटेल ने कहा, ‘हम इन रिपोर्टों से अवगत हैं कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मैं भारत सरकार को चाबहार बंदरगाह के साथ-साथ ईरान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के संबंध में अपनी विदेश नीति के लक्ष्यों के बारे में बात करने दूंगा. मैं बस यही कहूंगा, क्योंकि यह अमेरिका से संबंधित है, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू रहेंगे और हम उन्हें लागू करना जारी रखेंगे.’

द्विपक्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर

चाबहार बंदरगाह के संचालन के लिए भारत के इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के पोर्ट एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (पीएमओ) के बीच द्विपक्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए. इससे 10 वर्षों की अवधि के लिए चाबहार विकास परियोजना में शाहिद-बेहस्ती बंदरगाह का संचालन हो पाएगा. 10 साल की अवधि में दोनों पक्ष चाबहार में अपने सहयोग को आगे बढ़ाएंगे. आईपीजीएल करीब 120 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा.

बंदरगाह के संचालन का अनुबंध

भारत ने बीते सोमवार (13 मई) मध्य एशिया के साथ व्यापार का विस्तार करने के लिए चाबहार बंदरगाह के संचालन के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. ओमान की खाड़ी में​ स्थित बंदरगाह भारतीय सामानों को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर नामक सड़क और रेल परियोजना का उपयोग करके भूमि से घिरे अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने के लिए एक प्रवेश द्वार प्रदान करेगा.

यह मार्ग पाकिस्तान को बायपास करता है. भारत ने पहली बार 2003 में इस योजना का प्रस्ताव रखा था, लेकिन ईरान पर उसके संदिग्ध परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों ने बंदरगाह के विकास को धीमा कर दिया.

-भारत एक्सप्रेस

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