Bharat Express

मध्य प्रदेश में क्यों डरे दिग्गज?

Congress: कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में 100 उम्मीदवारों पर सहमति बन गई है, जिसकी लिस्ट जल्द ही जारी हो सकती है। जबकि मालवा-निमाड़ और विंध्य के कुछ सीटों पर अभी पेंच फंसा हुआ है।

चुनाव में क्यों नहीं उतर रहे ये दिग्गज ?

MP Elections: मध्य प्रदेश में चुनावी बिगुल किसी भी वक्त बज सकता है। सभी दल अपने-अपने उम्मीदवार तय करने में जुट गए हैं। लेकिन सत्ता में वापसी का दावा करने वाली कांग्रेस के कई दिग्गज चुनावी दंगल में उतरने से खुद को किनारे करते दिख रहे हैं। हालांकि इसको लेकर अटकलों का दौर भी शुरू हो गया है। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने पार्टी आलाकमान तक ये संदेश पहुंचा दिया है। इनकार करने वाले अरुण यादव पहले नेता नहीं हैं। इनसे पहले राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा और दिग्विजय सिंह के भी चुनाव ना लड़ने की खबर है। विवेक तन्खा का कहना है कि वे फुलटाइम राजनीतिज्ञ नहीं हैं, इसलिए चुनाव लड़ने की बात ही नहीं उठती है, हालांकि दिग्विजय सिंह ने अब तक खुलकर कुछ नहीं कहा है।

कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में 100 उम्मीदवारों पर सहमति बन गई है, जिसकी लिस्ट जल्द ही जारी हो सकती है। जबकि मालवा-निमाड़ और विंध्य के कुछ सीटों पर अभी पेंच फंसा हुआ है। खबरों के मुताबिक इन इलाकों के दिग्गज नेताओं ने अपने-अपने करीबियों को टिकट दिलाने की सिफारिश की है, जिस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने वीटो लगा दिया है।

खबर है कि एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के पीछे दो बड़े कारण हैं, पहला कारण उनके परिवार के तीन नेता टिकट के लिए कतार में हैं, तो दूसरा कारण उनके कंधे पर 66 विधानसभा सीट जिताने का भार है। परिवार के तीन सदस्यों के अलावा अगर दिग्विजय सिंह चुनाव मैदान में उतरते हैं, तो पार्टी में ये बड़ा मुद्दा बन सकता है, क्योंकि पहले भी कई बार सवाल उठते रहे हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस के उदयपुर घोषणापत्र में एक परिवार से एक शख्स को टिकट की बात कही जा चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह को 66 विधानसभा क्षेत्र जिताने की जिम्मेदारी दे रखी है, ये वो सीटें हैं, जो कांग्रेस लगातार 3 बार से हारती आ रही है।

2014 से लगातार दो बार लोकसभा चुनाव में हार का स्वाद चखने वाले विवेक तन्खा भी बैकफुट पर हैं। उन्होंने कहा है कि अगर पार्टी टिकट भी देती है, तो वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। पेशे से वकील विवेक तन्खा की दलील है कि उनके पास काफी सारे काम हैं और कोर्ट-कचहरी आना-जाना रहता है, ऐसे में चुनाव लड़ना मुश्किल है।

यह भी पढ़ें- MP Election: “कांग्रेस को न पड़े एक भी वोट…तो दूंगा 51 हजार रुपये”, चुनाव जीतने के लिए कैलाश विजयवर्गीय ने दिया खुला ऑफर

तो मध्य प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव का पुराना दर्द छलक रहा है। खबरों के मुताबिक अरुण यादव संगठन महासचिव को चुनाव ना लड़ने की जानकारी दे चुके हैं। कहा जा रहा है कि अरुण यादव पिछला विधानसभा चुनाव निमाड़ इलाके के किसी विधानसभा क्षेत्र से लड़ना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने उनकी बात नहीं मानी और शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ उतार दिया। हालांकि पार्टी ने उन्हें हारने पर भी समायोजित करने का वादा किया था, लेकिन वो पूरा नहीं हो पाया। इतना ही नहीं 2018 में जब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने की बात आई, तो उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया गया था।

कांग्रेस के दिग्गजों के चुनाव मैदान से दूरी बनाने की वजह चाहे, जो हो। लेकिन इसने बीजेपी को हमला बोलने का मौका दे दिया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि हार के भय से कांग्रेस के नेता चुनाव मैदान से दूरी बना रहे हैं। वो वोटरों का गुस्सा देख चुके हैं। बीजेपी कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं करने पर भी सवाल उठा रही है। बीजेपी का कहना है कि कुछ तो वजह होगी, जो कांग्रेस को उम्मीदवार घोषित करने से रोक रही है। जबकि बीजेपी अब तक 79 प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी है। हालांकि कांग्रेस के नेता जल्द लिस्ट जारी होने की बात कह रहे हैं।

जहां कांग्रेस के दिग्गज चुनाव से दूरी बनाते दिख रहे हैं, तो वहीं बीजेपी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतार कर अपना दम दिखाने में जुट गई है। इतना ही नहीं बीजेपी ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद रीति पाठक, सांसद राकेश सिंह, सांसद उदय प्रताप सिंह और सांसद गणेश सिंह को विधानसभा के रण में ताल ठोकने के लिए भेज दिया है।

– भारत एक्सप्रेस

 

Bharat Express Live

Also Read

Latest