दिल्ली में "राम मंदिर, राष्ट्र मंदिर - एक साझी विरासतः कुछ अनसुनी बातें" पुस्तक का विमोचन
New Delhi: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने कहा है कि ‘जो बेजुबान की जुबान भी जानता है वही राम है’। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी विवाद दूर करने के लिए संवाद जरूरी है। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भी बिना इजराइल-फिलिस्तीन, रूस-यूक्रेन और अन्य देशों के चल रहे झगड़े को खत्म करने के मामले में भारत के वेद पुराणों और रामायण के महत्व पर जोर देते हुए भगवान राम के महत्व को बताया।
दिल्ली आकाशवाणी का रंग भवन ऑडिटोरियम रविवार को ऐतिहासिक घटना का गवाह रहा। मौका था “राम मंदिर, राष्ट्र मंदिर – एक साझी विरासतः कुछ अनसुनी बातें” पुस्तक के विमोचन का जिसे गीता सिंह और आरिफ खान भारती ने मिलकर लिखा है। प्रस्तावना आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने लिखी है।
पुस्तक के विमोचन के अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, आरएसएस राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार, विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (न्यास), अयोध्या के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि, लद्दाक की पावन भूमि से बौद्ध धर्म से पोचे समेत अनेकों बुद्धिजीवी मौजूद रहे। इस मौके पर देश भर से आए मुस्लिम समुदाय ने शिरकत की।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किताब के विमोचन के बाद कहा कि इंसान एक महत्वकाशी प्राणी है जो अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए अनैतिक हो जाता है। क्योंकि अगर ख्वाहिशों को आदर्श करने वाला कोई न हो अर्थात मर्यादित करने वाला कोई न हो तो महत्वकांक्षाएं बेलगाम हो जाती हैं। और इसीलिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जरूरत हर तरफ है।
इस अवसर पर इंद्रेश कुमार ने कहा कि जो बेजुबान की भी जुबान जानता है वही खुदा है, वही परमेश्वर है, वही गॉड है, वही राम है। उन्होंने कहा कि यहां देश भर से आई जनता ने साबित कर दिया है कि हम एक थे, एक हैं और एक ही रहेंगे। इसीलिए सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि हम सब का डीएनए है। इंद्रेश कुमार ने कहा कि जहां विवाद है वो सभी आगे आने वाले दिनों में संवाद से हल किए जा सकते हैं। इसके लिए सभी धर्मों को आगे आकर विचार करना होगा।
उन्होंने पुरानी बातों को याद करते हुए बताया कि 1998 में पांचवें सरसंघचालक केसी सुदर्शन ने इंद्रेश कुमार को बुला कर पूछा था कि मुस्लिमों के साथ हाल में संवाद हुआ था… वो कैसा रहा, उसका परिणाम क्या रहा? और फिर उसी वार्ता के आधार पर 24 दिसंबर 2002 में मौलाना वहीदुद्दीन और सरसंघचालक केसी सुदर्शन की मौजूदगी में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का गठन किया जिसकी साझी विरासत है।
इंद्रेश कुमार ने अपील करते हुए कहा कि 22 जनवरी 2024 को सुबह 11 बजे से दिन के 1 बजे तक जब अयोध्या में राम लला स्थापित किए जाएंगे उस दौरान दरगाहों, मदरसों, मकतबों, मस्जिदों में अपने अपने धर्मों के हिसाब से देश की उन्नति, प्रगति, सौहार्द के लिए इबादत करें। शाम को इन स्थानों पर चिराग रोशन किए जाने की अपील भी की है। राम लला की स्थापना के अवसर पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता 6 दिन से लेकर 15 दिनों तक पदयात्रा कर के अयोध्या पहुंचेंगे। क्योंकि मुस्लिमों का भी मानना है कि राम कण कण में हैं राम सब में हैं।
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि इस पुस्तक की बहुत आवश्यकता थी क्योंकि जो किताब भी पहले राम जन्मभूमि के संबंध में आई वो लगती थीं कि दो समुदायों के बीच काफी वैमनस्य है। ऐसा लगता था जैसे मुस्लिमों के खिलाफ कोई साजिश हुई है। इसलिए इस किताब का बहुत अधिक महत्व है जो बताता है कि ऐसा कुछ भी नहीं है, केवल भ्रम की स्थिति पूर्व में फैलाई गई। मुसलमान और ईसाई के संबंध में भी सवाल करती है कि क्या राम जन्मभूमि का आंदोलन सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ था?
उन्होंने महमूद गजनी के हवाले से बताया कि उसने भारत को लूटा.. बाबर और औरंगजेब जैसे लोगों को महत्व देना क्या साम्राज्यवादी ताकतों की नुमाइश नहीं थी? क्या हिंदुओं के मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाया जाना जायज था? और क्या ऐसे पूजा स्थल पूज्यनीय हो सकती है?
आलोक कुमार ने देश की एकता समरसता के हवाले से कहा कि सनातन काल और हिंदू संस्कृति के समय से ही संविधान की धर्म निरपेक्षता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि अनेकों ऐसे मुद्दे हैं जिन पर चर्चा कर के एक निर्णय पर पहुंच कर भारत को एक भारत, श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए हम सब आगे एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे।
अयोध्या के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने राम के महत्व को समझते हुए कहा कि राम राष्ट्र पुरुष हैं क्योंकि राम सबसे प्रेम करते हैं और सम्पूर्ण राम राम से प्रेम करता है। उन्होंने हिंदू मुस्लिम ही नहीं संपूर्ण समुदायों जातियों की एकता को सर्वोपरि बताया।
कार्यक्रम की शुरुवात में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। इस दौरान राम भजन की प्रस्तुति भी को गई। सीता राम पर हुई प्रस्तुतियों ने हर दिल को मोहने का भरपूर काम किया। प्रस्तुतियों में देश की एकता, अखंडता, सौहार्द को भलीभांति प्रदर्शित किया गया। इस दौरान राजा राम का राज्याभिषेक हुआ। राम, सीता और लक्ष्मण का ऑडिटोरियम में मौजूद हर किसी ने फूलों से भव्य स्वागत किया गया, हर कोई राम मय नजर आया।
भगवान् राम का सम्बन्ध सभी एशियाई महाद्वीपों से है। इंडोनेशिया, मलेशिया और कम्बोडिया का पूरा क्षेत्र रामायण से जुड़ा हुआ है। अखंड भारत के रचयिता और एक आदर्श सम्राट भगवान श्रीराम ने ही सर्वप्रथम भारत की सभी जातियों और संप्रदायों को एक सूत्र में बांधने का कार्य अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान किया था।
भारत के अतिरिक्त नेपाल, लाओस, कंपूचिया, मलेशिया, कंबोडिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, बाली, जावा, सुमात्रा और थाईलैंड आदि देशों की लोक-संस्कृति व ग्रंथों में आज भी राम इसीलिए जिंदा हैं।
लेखिका प्रो. गीता सिंह ने बताया कि पुस्तक में बहुत से अनसुनी कहानियां हैं। पुस्तक से बहुत से मिथ टूटेंगे। लोगों को समझ में आएगा कि संघ मुसलिम समाज में राष्ट्रवाद की भावना भरने में संघ किस संजीदगी से लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक लोगों का ज्ञानवर्धन करने के साथ उनकी समझ बढ़ाने में सार्थक सिद्ध होगी। दूसरे लेखक आरिफ खान भारती ने पुस्तक के बारे में अपने विचार रखे। जिसमें देश की मूलभावना वसुधैव कुटुंबकम पर जोर दिया, जिसके पुरोधा थे मर्यादा पुरुषोत्तम राम।
— भारत एक्सप्रेस
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