लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों का रहा है दबदबा
Independent candidates in general elections: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के मतदान में कुछ ही समय शेष बचा है. देश की 543 लोकसभा सीटों पर 7 चरणों में मतदान होगा. वहीं मतों की गणना 4 जून को होगी. इस बीच चुनाव से जुड़े रोचक आंकड़े भी लगातार सामने आ रहे हैं. एक समय था जब भारत में निर्दलीयों उम्मीदवारों का दबदबा था. 1957 के दूसरे आम चुनाव में 42 उम्मीदवार लोकसभा पहुंचे थे. वहीं 1991 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक निर्दलीय ही लोकसभा पहुंचा था. ऐसे में आइये जानते हैं आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार कितने प्रभावी रहते हैं.
चुनाव आयोग के आंकड़ों की मानें तो 1998 में कुल 1915 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में थे. इनमें से 6 प्रत्याशी ही चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंच पाए. 1999 के आम चुनाव में भी 6 प्रत्याशी चुनाव जीते. इसके बाद 2004 में 5, 2009 में 9 और 2014 में 3 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की.
2019 में 4 निर्दलीयों ने दर्ज की जीत
2019 के आम चुनाव में 8000 से अधिक निर्दलीयों ने चुनाव लड़ा लेकिन केवल 4 उम्मीदवार ही जीत दर्ज कर पाए. जानकारी के अनुसार 1991 से अब तक 99 फीसदी निर्दलीय उम्मीदवार अब तक अपनी जमानत जब्त करवा चुके हैं. वहीं बात करें 1951-52 के पहले आम चुनाव की तो इस चुनाव 533 निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव में किस्मत आजमाई लेकिन बाजी हाथ लगी 37 उम्मीदवारों के.
1991 के बाद कम होता गया जीत का प्रतिशत
1957 के आम चुनाव में 1519 निर्दलीय मैदान में उतरें जिनमें से 42 ने चुनाव में जीत दर्ज की. 1962 में 20 निर्दलीयों ने चुनाव जीता. वहीं इंदिरा गांधी की मौत के बाद हुए आम चुनाव में 5 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की. 1967 के आम चुनाव में 35, 1971 में 14 और इमरजेंसी के बाद हुए 1977 के चुनाव 9 निर्दलीयों ने चुनाव जीता. 1989 के चुनाव में 12 निर्दलीय जीते. राजीव गांधी की मौत के बाद हुए लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक निर्दलीय ने जीत दर्ज की. 1996 में 9 उम्मीदवारों ने चुनाव जीता.
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